दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के नोटिस पर SDMC और EDMC के मेयर का कहना है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है. इसके साथ ही SDMC के मेयर मुकेश सूर्यान ने कहा कि हमने जो स्टैंड लिया उसे 94% लोगों ने समर्थन दिया, बाकी 6% लोगों की चिंता नहीं है. वहीं दूसरी ओर EDMC के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल का कहना है कि अगर अल्पसंख्यक आयोग हमारा नियम देखता तो उन्हें चिट्ठी लिखने की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ती.


इससे पहले गुरुवार को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को बंद करने की खबर लेकर शहर के तीन नगर निगमों के मेयर और आयुक्तों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसी पर SDMC और EDMC के मेयर का कहना है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है. SDMC के मेयर ने आगे बात करते हुए कहा कि अल्पसंख्यक आयोग स्वतंत्र है. पत्र भेजा है तो उसका जवाब भी दे देंगे. दिल्ली जल बोर्ड ने भी फैसला लिया है की रमजान का महीना है, एक समाज के लोगों को 2 घंटे की छुट्टी दे देनी चाहिए. उसमें हिंदू भी बहुत लोग हैं जो व्रत रखते हैं उनकी किसी ने चिंता नहीं की. पूरी दिल्ली से अपील है कि आप अपना समर्थन दीजिए. जो चाहते हैं पूरी दिल्ली के अंदर मीट की शाप बंद हो. 


मेयर मुकेश ने राज्य सरकार से पूछते हुए कहा कि मदरसों में क्या पढ़ाया जाता है? गुरुद्वारे के ग्रंथी को तनख्वाह क्यों नहीं मिलती है? मंदिर के पुजारी को सैलरी क्यों नहीं मिलती? मीट पाबंदी पर नगर निगम ने कहा कि हमने लीगल को ओपिनियन भेजा है, लीगल से पर्स्यू मांगा है. जैसे अहमदाबाद, बैंगलोर नगर निगम में इसे लागू किया गया है. हमारे अपने निगम का जो अधिकार होता है, हम चाहें तो इसे कर सकते थे, हम इसे प्रॉपर कैसे करें. इसके प्रावधान की तलाश कर रहे हैं.
 
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के संसद में दिए बयान पर मेयर ने कहा कि वो सुबह शाम ऑनलाइन मंगा के खा सकती हैं. हमने जो किया उसमें 94% दिल्ली ने हमें समर्थन दिया है. 6 % लोगों ने हमें समर्थन नहीं दिया उनकी हमें बिल्कुल चिंता नहीं है. खाने पीने रहने की सबको आजादी है. हमने इसे कम्पलीट बैन नहीं किया, केवल नवरात्रि के लिए अपील की थी. इसे हम आगे भी जारी रखेंगे. दरअसल, महुआ मोइत्रा ने संसद में कहा था कि वह दक्षिण दिल्ली में ही रहती हैं और संविधान उन्हें जब मर्जी हो तब मीट खाने की इजाजत देता है.


EDMC के मेयर ने कहा कि नियम पता होते तो चिट्ठी ना लिखता अल्पसंख्यक आयोग. EDMC के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल का कहना है कि अल्पसंख्यक आयोग से मुझे कोई चिट्ठी नहीं मिली. यदि वो हमारा नियम देख लेते तो उन्हें चिट्ठी लिखने की जरूरत नहीं पड़ती. स्लॉटर हाउस साल के अंदर 24 दिन बंद होते हैं. दीवाली, गुरु नानक जन्मदिन, मोहम्मद पैगंबर का जन्मदिन हो या नवरात्रि हो दोनों नवरात्रि चाहे अभी वाले हों या दीवाली वाले, सबमें 3 -3 दिन स्लॉटर हाउस बंद रहता है. हमने लोगों से अपील की थी कि हिंदू भावना का ख्याल रखें, फोर्स नहीं किया. पूरी दिल्ली में एक ही स्लॉटर हाउस है और अब वो तीन दिन बंद है. जब पूरी दिल्ली में स्लॉटिंग नहीं होगी तब मीट कहां से आएगा. गलत मीट ना बेचें, बासी मीट ना बेचें, लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखना हमारा काम है. हमारी 16 टीमें लगी हुई हैं. लाइसेंस वाली दुकानों पर चेकिंग कर रहीं.


इस मीट विवाद की शुरुआत 4 अप्रैल को हुई थी जब दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली के मेयर ने अपने अधिकार क्षेत्र में मीट की दुकानों को नवरात्रि के दौरान बंद रखने के लिए कहा था. उनका कहना था कि इन नौ दिनों के लिए ज्यादातर लोग मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करते हैं. ज्यादातर लोग लहसुन प्याज का भी सेवन नहीं करते तो हिंदू समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मीट की दुकान को बंद रखा जाए. हालांकि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर की ओर से ऐसा कुछ नहीं कहा गया था.


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