हैदराबाद: ग्यारह साल पुराने मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में एक विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद और चार अन्य को बरी कर दिया. हालांकि विस्फोट में घायल हुए और मारे गए लोगों के रिश्तेदारों ने कहा है कि उन्हें इंसाफ नहीं मिला है. इन्होंने राज्य सरकार से इस फैसले के विरोध में हाईकोर्ट जाने की अपील की है.


आरोपियों के बरी होने पर फयाज खान ने कहा , ‘‘मैं इस फैसले से परेशान हूं. हमें इंसाफ नहीं मिला. आज के फैसले के विरुद्ध उच्च न्यायालय जाना और यह सुनिश्चित करना कि सभी दंडित हो, राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.’’ फयाज के चाचा और एक अन्य रिश्तेदार की इस विस्फोट में जान चली गयी थी.


इस विस्फोट में घायल हुए सैयद सलमान ने कहा , ‘‘विस्फोट के ग्यारह साल बाद भी हमें इंसाफ नहीं मिला.’’उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए. वहीं मोहम्मद इरफान ने कहा, "बहुत देर बाद फैसला आया है और ये फैसला पीड़ितों के पक्ष में नहीं है. धमाके में मारे गए लोगों को न्याय नहीं मिला है. हमें अभी भी हमारी एजेंसियों में विश्वास है और उम्मीद है कि असली अपराधियों को पकड़ा जाएगा." इरफान ही वो शख्स थे जिन्होंने मस्जिद के अंदर दूसरा बम पाया था और जिसे बाद में पुलिस स्क्वाड ने निष्क्रिय कर दिया था


बता दें कि मक्का मस्जिद परिसर में 18 मई , 2007 को बम धमाका हुआ था जिसमें नौ लोगों की जान चली गयी थी और 58 अन्य घायल हो गए थे. बम विस्फोट मस्जिद के वजूखाना के पास हुआ था जब नमाजी वहां वजू कर रहे थे. बाद में दो और आईईडी पाए गए थे, जिसे पुलिस ने निष्क्रिय कर दिया था. अदालत ने इस मामले में पांच लोगों को बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ एक भी आरोप साबित नहीं हुआ है.