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मानहानि मामले में मेधा पाटकर को कोर्ट ने सुनाई 5 महीने की सजा, लगाया 10 लाख रुपये का जुर्माना
2001 में वीके सक्सेना ने मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. जिस पर सुनवाई करते हुए साकेत कोर्ट ने उन्हें सजा दी है. मेधा पाटकर की उम्र वाली याचिका भी खारिज कर दी.
![मानहानि मामले में मेधा पाटकर को कोर्ट ने सुनाई 5 महीने की सजा, लगाया 10 लाख रुपये का जुर्माना Medha Patkar sentenced to 5 months imprisonment in defamation case fined Rs 10 lakh Realted To Delhi LG VK Saxena मानहानि मामले में मेधा पाटकर को कोर्ट ने सुनाई 5 महीने की सजा, लगाया 10 लाख रुपये का जुर्माना](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/24/82939293f95770e34caf120f4bad1d571716554895148426_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Defamation Case: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की ओर से दायर आपराधिक मानहानि मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को पांच महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई. कोर्ट ने मेधा पाटकर पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया और जुर्माने की राशि वीके सक्सेना को देने का निर्देश दिया.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को मानहानि का दोषी पाया और उन्हें सक्सेना की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया. साथ ही कोर्ट ने उम्र का हावला देने वाली दलील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यह केस 25 साल तक चला.
सजा मिलने पर मेधा पाटकर ने क्या कहा?
हालांकि, अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389(3) के तहत उनकी सजा को 1 अगस्त तक निलंबित कर दिया ताकि वह आदेश के खिलाफ अपील कर सके. अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए पाटकर ने कहा, "सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता. हमने किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं की, हम केवल अपना काम करते हैं. हम अदालत के फैसले को चुनौती देंगे."
वीके सक्सेना के वकील ने क्या कहा?
वीके सक्सेना के वकील ने कहा कि उन्हें कोई मुआवजा नहीं चाहिए, वे इसे दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) को देंगे. कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता को मुआवजा दिया जाएगा और फिर आप अपनी इच्छानुसार इसका निपटान कर सकते हैं.
क्या है मामला?
जब ये केस फाइल किया गया था तब वीके सक्सेना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज नाम के एनजीओ के अध्यक्ष थे. उन्होंने 2001 में मानहानि का मामला दायर किया था. उनके अनुसार, पाटकर ने एक प्रेस रिलीज जारी करके उन्हें बदनाम किया था.
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