नई दिल्लीः राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के मीडिया सलाहकार लोकेंद्र सिंह को विधायकों के फोन टेप मामले में राजस्थान हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मिली है. कोर्ट ने लोकेंद्र सिंह के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर भी 18 नवंबर तक रोक लगा दी है. पुलिस अब उन्हें 18 नवंबर तक गिरफ्तार भी नहीं कर सकती. हाईकोर्ट ने इस मामले में केस डायरी भी तलब की है. केस की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी.


पुलिस कार्रवाई पर हाईकोर्ट में लोकेंद्र सिंह ने यहा कहा


हाईकोर्ट में लोकेंद्र सिंह और एक न्यूज एजेंसी के संपादक ने एक प्रार्थना पत्र देकर कहा कि जैसलमेर के एक होटल में विधायकों की घेराबंदी के वक्त उनके फोन टेप करने की खबर उन्होंने चलाई थी. इस मामले में राज्य की पुलिस ने उन पर द्वेषतापूर्ण कार्रवाई की है. हालांकि लोकेंद्र ने हाईकोर्ट में यह स्वीकार किया कि बीते 7 अगस्त को उन्होंने अपने फोन से कुछ पत्रकारों को विधायकों के फोन टेप होने की सूचना भेजी थी.


उन्होंने यह भी कहा कि उनके यह खबर मीडिया को भेजने से पहले एक राष्ट्रीय और क्षेत्रीय न्यूज चैनल ने इस खबर को टेलीकास्ट किया था. उन्होंने कोर्ट से कहा कि जब यह खबर कुछ न्यूज चैनलों से भी चलाई थी, तो इस मामले में उन्हें मुख्य साजिशकर्ता बताना गलत है. यह भी बताया कि  वे एक न्यूज एजेंसी चलाते हैं और यह खबर एक पत्रकार के तौर पर भेजी थी.


क्या था पूरा मामला?


बीते जुलाई-अगस्त में सचिन पायलट पार्टी से नाराज हो गए थे. उनके समर्थक विधायकों का एक गुट भी उनके साथ आ गया था. राजस्थान में सियासी संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विधायकों को जैसलमेर के होटलों में शिफ्ट कर दिया था, ताकि अन्य विधायक पाला न बदल लें. इसी सियासी बवाल के बीच 7 अगस्त को एक खबर आई कि होटल में ठहरे विधायकों के जयपुर से फोन टेप कराए जा रहे हैं.


इतना ही नहीं ऐसे विधायकों की एक लिस्ट भी वायरल हुई थी. हालांकि राज्य सरकार ने इसे सिरे से खारिज किया था. पिछले दिनों अचानक सायबर थाने के प्रभारी सुरेंद्र पंचोली ने विधायकपुरी थाने में लोकेंद्र सिंह और एक अन्य पत्रकार शरत कुमार के खिलाफ केस दर्ज कराया. इसमें उन्होंने दोनों लोगों पर बिना तथ्यों के भ्रामक खबरें फैलाने का आरोप लगाया है. फिलहाल इस मामले की जांच की जा रही है.