बीजिंग: चीन के महान नेता माओत्से तुंग के फेमस कोटेशन ‘सैकड़ों फूलों को खिलने दो’ को किसी लोकतंत्र में मीडिया पर भी लागू किया जा सकता है, ताकि वह प्रतिरोध की ताकत के तौर पर काम कर सके. गुरुवार को यह बातें आनंद बाजार पत्रिका (एबीपी) ग्रुप के वाइस चेयरमैन और एडिटर एमेरिटस अवीक सरकार ने कही.
'फर्जी खबरों को माओत्से तुंग से बेहतर किसी ने नहीं किया स्पष्ट'
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की मेजबानी में आयोजित ब्रिक्स मीडिया फोरम को संबोधित करते हुए अवीक सरकार ने कहा, ‘‘फर्जी खबरों को चीन के पूर्व चेयरमैन माओत्से तुंग से बेहतर किसी ने स्पष्ट नहीं किया, जिन्होंने कहा कि ‘सैकड़ों फूलों को खिलने दो.’ किसी लोकतंत्र में मीडिया का मतलब यह है कि इससे सैकड़ों विचार सामने आते हैं.’’
भारत में भी सिविल सोसाइटी से संबंध रखती है मीडिया
फर्जी खबरों के बारे में अवीक ने कहा, ‘‘पेशेवर गलती करना मुमकिन है लेकिन फर्जी खबर ऐसी चीज है जो कोई व्यक्ति किसी अनुचित उद्देश्य के लिए जानबूझकर करता है.’’ अवीक ने कहा, ‘‘माओ के संदेश का मतलब क्या है. हर जगह की तरह भारत में भी मीडिया सिविल सोसाइटी से संबंध रखता है. सिविल सोसाइटी का मतलब ऐसी चीज है जिसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं होता.’’
संतुलन बनाने वाली शक्ति का काम करती है मीडिया
उन्होंने कहा, ‘‘खबर सर्वशक्तिमान नहीं है. राज्य सर्वशक्तिमान होता है. भारत जैसे समाज में मीडिया राज्य के लिए संतुलन बनाने वाली ताकत है. जब राज्य ज्यादा ताकतवर हो जाता है, ज्यादा से ज्यादा अधिकार हासिल कर लेता है, मीडिया संतुलन बनाने वाली शक्ति का काम करती है और न्यायपालिका एक अन्य संतुलन बनाने वाली शक्ति है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि लोग भारतीय मीडिया से ज्यादा यकीन न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर पर करते हैं.