नई दिल्ली: सेना प्रमुख ने मीडिया से अपील की वो सेना के राजनीतिकरण रोकने में मदद करे. जनरल बिपिन रावत ने कहा कि राजनीति सेना में घुस रही है, लेकिन हमें इसे रोकने की जरूरत है. थलसेनाध्यक्ष ने कहा कि “पुराने समय में फौज में महिलाओं और राजनीति के बारे में बातें नहीं होती थीं. लेकिन पिछले कुछ समय से ये बातें सेना में आ रही हैं, जो सही नहीं है.” थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत राजधानी दिल्ली में एक सेमिनार में बोल रहे थे. सेमिनार का थीम था, ‘मीडिया एज़ ए फोर्स मल्टीप्लायर इन नेशनल सिक्योरिटी.’ दरअसल, पिछले कुछ समय से सेना और सेनाप्रमुख के निर्णयों को लेकर काफी आलोचना हो रही थी. जिसमें मुंबई में एक रेलवे स्टेशन पर फुटओवर-ब्रिज बनाने से लेकर यमुना नदी पर पंटून पुल बनाना शामिल है.
सिविल-गर्वमेंट की मदद करना सेना की जिम्मेदारी
बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए जनरल बिपिन रावत ने सफाई दी कि जरूरत के समय में सिविल-गर्वमेंट की मदद करना सेना की जिम्मेदारी है. साथ ही हाल में सेना प्रमुख के उस बयान को लेकर भी काफी आलोचना हुई थी कि जिसमें उन्होनें देश के पहले सेना प्रमुख फील्ड मार्शल करियप्पा को भारत रत्न देने की मांग की थी. सेना प्रमुख ने कहा कि भले ही मीडिया का काम सच्चाई दिखाना है. लेकिन साईक्लोजिकल ऑपरेशन (साई-ऑप्स) के लिए सेना मीडिया की मदद ले सकती है.
लोकतांत्रिक देश में हम मीडिया को कंट्रोल नहीं कर सकते
जनरल रावत के मुताबिक, दुश्मन को ‘सरप्राइज’ करने के लिए भी कभी कभी मीडिया में आधी-सच्चाई और गलत जानकारी भी दी जाती है. उन्होनें कहा कि हम भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हम मीडिया को कंट्रोल नहीं कर सकते. ऐसे में जरूरी है कि हम मीडिया को भरोसे में लेकर काम करें. क्योंकि भारत जैसे देश में जहां मीडिया-बूम है हम मीडिया से अलग-थलग नहीं रह सकते. डोलम (डोकलम) विवाद के दौरान मीडिया कवरेज की तारीफ करते हुए जनरल रावत ने कहा कि उस दौरान हमने (सेना और रक्षा मंत्रालय) ने विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम किया ताकि गलत या आधी-अधूरी जानकारी मीडिया में ना जाए. इसके लिए हमने मीडिया को विवादित-क्षेत्र में जाने की इजाजत नहीं दी. क्योंकि हम चाहते थे कि जो जानकारी हम दे रहे हैं वही जानकारी मीडिया में आए.
देश में अभी भी ‘कम्युनिकेशन-स्ट्रेटजी’ नहीं है
इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार, संजय बारू ने कहा कि भले ही डोकलम की कवरेज मुंबई के 26/11 हमले के दौरान हुई कवरेज से बहुत बेहतर थी, लेकिन हमारे देश में अभी भी ‘कम्युनिकेशन-स्ट्रेटजी’ नहीं है. प्रधानमंत्री कार्यकाल में अपना अनुभव साझा करते हुए संजय बारू ने कहा कि एक बार जब सीबीआई को बाबा राम रहीम को समन करना था तो गृहसचिव ने उनसे कहा था कि अगर ये खबर मीडिया में आई तो दंगे भड़क सकते हैं. बारू ने कहा कि उस समय "हमने मीडिया से बात की और ये खबर नहीं आई, जिसके चलते सबकुछ शांति पूर्वक बीत गया. लेकिन उन्होनें कहा कि हाल ही में जब बाबा राम रहीम को गिरफ्तार किया गया तो ऐसा ने करने के चलते हिंसा फैल गई.