नई दिल्ली: मेरठ के शोभापुर में एक दलित युवक की हत्या के बाद इलाके में दहशत का माहौल है. कहा जा है कि डर की वजह से इलाके से दलितों ने पलायन शुरू कर दिया है. गांव में डर का आलम है ये है कि जो बाहर काम से गए थे वो गांव में वापस नहीं आ रहे


दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी भारी हिंसा देखने को मिली थी. 2 अप्रैल को हुई तोड़फोड़ और हिंसा में पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एक्शन लिया था.


क्यों बना है डर का माहौल?
3 अप्रैल को मेरठ के थाना कंकरखेड़ा क्षेत्र में पड़ने शोभापुर गांव में बीएसपी से जुड़े एक दलित युवक गोपी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. आरोप गांव के ही गुर्जर समुदाय के कुछ लोगों पर लगा है. दलित युवक की हत्या के बाद से गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है.


पुलिस प्रशासन का पलायन से इनकार
पुलिस प्रशासन डर से दलितों का गांव से पलायन की बात से साफतौर पर इंकार कर रहा है. पुलिस का कहना है कि डर की वजह से लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे, लेकिन इसे पलायन नहीं कहा जा सकता है.


दहशत दूर करने के लिए पुलिस कर रही फ्लैग मार्च
पुलिस दहशत को दूर करने के लिए मेरठ के शहरी और ग्रामीण इलाकों में लगातार फ्लैग मार्च कर रही है. इसके साथ ही मेरठ पुलिस समाज के सभी वर्ग के लोगों को साथ बैठा कर मीटिंग कर रही है ताकि लोगों में मन से जाति के नाम पर हुए मनमुटाव को मिटाया जा सके.