Supreme Court: मेरठ में ईदगाह और मस्जिदों के बाहर नमाज पर लगी रोक! शहर काजी बोले- 'सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे मामला'
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले यूपी के मुसलमानों एक बार फिर सड़क पर नमाज नहीं पढ़ने देने के मामले में अपनी आवाज को बुलंद किया है.
Offering Namaz on Road Issue: देश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होने जा रहा है. इससे पहले सड़क पर नमाज पढ़ने का मामला एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है. खासकर, उत्तर प्रदेश के मेरठ सिटी में इसको लेकर मुस्लिम समुदाय ने आवाज तेज कर दी है. प्रशासन की ओर से मेरठ में ईदगाह और मस्जिदों के बाहर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई हुई है. अब इस रोक के खिलाफ मुस्लिम समुदाय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का मन बना रहा है.
मुस्लिम समुदाय ने योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी एक पत्र लिखा है. इसके साथ ही शहर के मुसलमानों ने रोक लगाने के मामले में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी अवगत कराया है. राष्ट्रपति और आयोग की तरफ से अभी तक किसी प्रकार का कोई रिप्लाई नहीं मिला है.
'सभी धर्मों का सम्मान करे सरकार और प्रशासन'
इस मामले पर मेरठ के शहर काजी जैनुस साजिदीन का आरोप है कि पिछले 10 साल से मुसलमानों को ईदगाह और मस्जिदों के बाहर सड़क पर नमाज पढ़ने से रोका जा रहा है. दूसरी तरफ हिंदू समाज के कांवड़ मेला जैसे सभी आयोजन सड़कों पर हो रहे हैं. इसलिए सभी धर्मों का सम्मान सरकार और प्रशासन को करना चाहिए. मुसलमानों को भी उनके अधिकार मिलने चाहिए.
'ईद और जुम्मे की नमाज पर होती है ज्यादा संख्या'
काजी जैनुस का कहना है कि उनकी तरफ से अनेकों बार यूपी सरकार और जिला प्रशासन को इस मामले में पत्र लिखा गया है. बावजूद इसके सरकार और प्रशासन की ओर से आज तक मुस्लिम समुदाय के लिए कोई राहत देने जैसा कदम इस दिशा में नहीं उठाया गया. काजी ने तर्क दिया कि साल में दो बार खासकर ईद की नमाज ईदगाह पर होती है. वहीं, हर शुक्रवार को जुम्मे की नमाज भी मस्जिद में अता की जाती है. इस वजह से इन खास दिनों पर इबाबत करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं जिनके लिए मस्जिद के अंदर नमाज पढ़ने के लिए जगह नहीं होती है. इस वजह से सड़क पर बाहर नमाज पढ़नी पड़ती है.
लोकसभा चुनाव में मुसलमानों से एकजुट होने का आह्वान
इस तरह की समस्याओं के मद्देनजर गुरुवार (11 अप्रैल) को दिल्ली रोड स्थित शाही ईदगाह से कारी शफीकुर्ररहमान ने आगामी लोकसभा चुनाव में मुसलमानों से एकजुट होने का आह्वान भी किया है. उन्होंने किसी एक प्रत्याशी के पक्ष में वोट करने का ऐलान भी किया. वहीं, जिन मुसलमान लोगों के वोट नहीं बने हैं, उनके लिए पढ़े लिखे मुसलमानों से आग्रह किया कि वो अपने सभी अशिक्षित, गरीब मुस्लिम भाइयों की एक-एक वोट बनवाकर वोट का अधिकार दिलवाने का काम करें. कारी ने यह भी कहा कि हिंदुस्तान में मुसलमान किराएदार नहीं, बल्कि साझेदार हैं. हिंदुस्तान की पहचान हिंदू-मुस्लिम के भाईचारे से है.