पहले अटेम्प्ट में प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर पाए थे जतिन किशोर, इस साल बने हैं सेकंड टॉपर
जतिन किशोर ने बताया कि वो सोशल मीडिया पर भी थोड़ा टाइम बिताया करता हैं. उन्होंने कहा कि टाइम मैनेजमेंट की जरूरत है. मैंने कभी पढ़ाई के लिए टाइम टेबल नहीं बनाया.
नई दिल्ली: यूपीएससी के सेकंड टॉपर जतिन किशोर ने अपनी कड़ी मेहनत से साबित कर दिया है कि हौसला रखा जाए, तो कोई भी मंज़िल मुश्किल नहीं होती. जतिन पिछले साल अपने पहले अटेम्प्ट में फर्स्ट स्टेज तक ( प्रीलिम्स) क्लियर नहीं कर पाए थे, लेकिन इस साल उन्होंने इस परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल कर खुद को साबित कर दिया.
एबीपी न्यूज़ ने इस साल के यूपीएससी सेकंड टॉपर जतिन से बातचीत की. उन्होंने बताया "पिछली साल फर्स्ट स्टेज तक (प्रीलिम्स) क्लियर नहीं कर पाया था. बहुत बुरा लगा था, लेकिन हौसला नहीं टूटा और मैंने दोबारा कोशिश की. ये दूसरा अटेम्प्ट है. पिछली बार मैंने प्रीलिम्स के बहुत कम प्रश्न अटेम्प्ट किए थे, इसलिए मेरा ओवरऑल स्कोर कम रहा. इस बार ज़्यादा प्रश्नों को अटेम्प्ट किया. कई मॉक टेस्ट भी दिए. नेगेटिव मार्किंग होती है, इसलिए ज़्यादा तैयारी करनी होती है. मैंने 85-90 प्रश्न अटेम्प्ट किए."
"बिना कोचिंग के कर सकते हैं तैयारी" जतिन ने कहा, "मैंने इकोनॉमिक्स ऑप्शनल (सब्जेक्ट) लिया था. ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई बहुत काम आई. आज कल इंटरनेट पर इतना मटेरियल है कि आप बिना कोचिंग के भी तैयारी कर सकते हैं. ऐसा भी नहीं है कि दिल्ली आकर ही यूपीएससी की पढ़ाई होगी. ऐसा गलत है."
सोशल मीडिया पर थोड़ा वक्त गुज़ारा जतिन किशोर ने बताया कि वो सोशल मीडिया पर भी थोड़ा टाइम बिताया करता हैं. उन्होंने कहा, "टाइम मैनेजमेंट की जरूरत है. मैंने कभी पढ़ाई के लिए टाइम टेबल नहीं बनाया, कोशिश की टाइम टेबल बनाने की, लेकिन फ़ॉलो नहीं कर पाया."
शिक्षा और वातावरण पर काम करना चाहते हैं जतिन जतिन के मुताबिक, "ऐसा नहीं है कि आईएएस के अलावा कुछ और नहीं किया जा सकता है. कई लोग सिर्फ आईएएस को लाइफ का गोल बना लेते हैं. मैं दिल्ली में परिवार के साथ रहता हूं और उनका बहुत सपोर्ट मिला है तैयारी में. मैं भारत में कहीं भी शिक्षा और वातावरण पर काम करना चाहता हूं."
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