नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ एक बैठक की. घंटे भर चली बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. एक अधिकारी ने बताया कि बैठक में जम्मू कश्मीर के हालात पर चर्चा की गई.
पिछले हफ्ते जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी. राज्य का प्रशासन राष्ट्रपति शासन के तहत है. जम्मू कश्मीर प्रशासन ने आतंकी खतरे का जिक्र करते हुए वार्षिक अमरनाथ यात्रा बीच में ही रोकने और तीर्थयात्रियों/पर्यटकों को कश्मीर घाटी खाली करने का आदेश दिया था.
एनआईटी, श्रीनगर में पढ़ रहे दूसरे राज्यों के छात्रों को भी परिसर खाली करने और घर लौटने को कहा गया है. उन्हें अगले आदेश तक नहीं लौटने को कहा गया है. अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती और अन्य कदम उठाये जाने के बाद यह अफवाह है कि केंद्र की योजना ‘अनुच्छेद 35 ए’ को खत्म करने की हो सकती है. यह अनुच्छेद राज्य के बाशिंदों को सरकारी नौकरियों और भूमि पर विशेष अधिकार देता है.
हालांकि, मुख्यधारा की पार्टियों ने राज्य को प्राप्त विशेष दर्जे में बदलाव करने वाले इस तरह के किसी कदम का विरोध करने का संकल्प लिया है. गुरुवार को नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकत की. उन्होंने प्रधानमंत्री से ऐसा कोई कदम नहीं उठाने का अनुरोध किया जो राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब करती हो.
प्रतिनिधिमंडल में नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पार्टी के एक सांसद शामिल थे. उन्होंने मोदी से साल के अंत तक राज्य में विधानसभा चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त करने में सहयोग करने का भी अनुरोध किया.
अचानक आई एडवाइजरी से घबराए लोग, गवर्नर बोले सबकुछ सामान्य
जम्मू कश्मीर में स्थानीय नागरिकों से लेकर पर्यटक तक सभी परेशान दिख रहे हैं. पहले भारी तादाद में सुरक्षाबलों को कश्मीर भेजा गया और उसके बाद शुक्रवार को सरकार ने एक ऐसी एडवाजरी जारी कर दी जिससे लोगों की घबराहट और बढ़ गई. वहीं स्थानीय नागरिकों को भरोसा दिलाते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि घाटी में सबकुछ सामान्य है, कुछ भी नहीं होने जा रहा है.
अमरनाथ यात्रा रोकी गई, वापस लौट रहे श्रद्धालु
जम्मू-कश्मीर के प्रिंसिपल सेक्रटरी (होम) की तरफ से जारी सिक्यॉरिटी अडवाइजरी में अमरनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से 'यात्रा की अवधि कम करने' और 'जल्द से जल्द लौटने' को कहा गया है. दलील दी गई कि ऐसा अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले की खुफिया जानकारी मिलने की वजह से किया गया है. अमरनाथ यात्रा 15 अगस्त तक चलनी थी लेकिन जम्मू कश्मीर गृह विभाग की एडवाइजरी के बाद सारे बेस कैंप खाली हो रहे हैं.
किश्तवाड़ जिले में 43 दिन तक चलने वाले मचैल मठ यात्रा को भी निलंबित कर दिया गया है. जम्मू में प्रशासन ने अमरनाथ यात्रियों के लिए लगे लंगरों को अगले दो दिनों में समेटने को कहा है. इस आदेश के बाद लंगर वाले बोरिया बिस्तर समेटने में लगे हैं. अमरनाथ यात्री निवास परिसर में लगे इकलौते लंगर में भी सामान समेटने का काम शुरू हो गया है. एडवाइजरी जारी होने के बाद पर्यटक भी अपनी यात्रा बीच में रोककर वापस लौट रहे हैं. श्रीनगर एयरपोर्ट पर ऐसे लोगों की भारी भीड़ हो गई है, जो वापसी की टिकट के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
तनाव का असर पढ़ाई पर भी, वापस भेजे गए छात्र
घाटी में फैले तनाव का असर छात्रों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है. एनआईटी श्रीनगर में पढ़ाई करने वाले बाहर के छात्रों को घर भेज दिया गया है. छात्रों का कहना है कि कॉलेज प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर ये फैसला लिया है. श्रीनगर की मशहूर डल झील में हाउस बोट में ठहरे विदेशी पर्यटकों को भी पुलिस वापस भेज रही है. पर्यटकों के वापस जाने से शिकारा और हाउस बोट संचालक गुस्से में हैं. इनका कहना है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, इससे हमारा व्यापार प्रभावित हो रहा है.
बिना इजाजत छुट्टियां कैंसिल
सरकार ने राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों के कर्मचारियों को बिना अनुमति छुट्टी नहीं देने का आदेश भी जारी किया गया है. कश्मीर गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों को तुरंत हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया गया है. आदेश में कहा गया है कि अगले आदेश तक हॉस्टल की सुविधा छात्रों के लिए उपलब्ध नहीं रहेगी. इसी बीच राज्य सरकार ने कुपवाड़ा के अस्पताल में मेडिकल कंट्रोल रूम बनाने का आदेश दिया है.
कांग्रेस की मांग, पीएम मोदी दें मौजूदा हालात पर बयान
कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग की है. पिछले दिनों में राज्य में बड़ी संख्या में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती और उसके बाद अमरनाथ यात्रा रोके जाने को लेकर हैरानी जताते हुए कांग्रेस ने केंद्र सरकार से स्थिति साफ करने को कहा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद के दोनों सदनों में इस पर वक्तव्य देना चाहिए. कांग्रेस के कर्ण सिंह ने भी अमरनाथ यात्रा को बंद किए जाने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इससे शिवभक्तों को धक्का लगा होगा. कर्ण सिंह ने पूछा कि अमरनाथ जी की पवित्र गुफा तक छड़ी ले जाई जाती है, क्या उसपर भी रोक लगा दी गई है?