राजस्थान में पार्टी के कामकाज को पटरी पर लाने के लिए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया समेत पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, व अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ करीब 4 घंटे तक अहम बैठक की. सूत्रों की मानें तो राजस्थान बीजेपी में गुटबाजी को ध्यान में रखते हुए यह बैठक बुलाई गई थी. पार्टी आलाकमान ने आपसी खींचतान को न सिर्फ गंभीरता से लिया बल्कि आपसी मतभेद पर नाराजगी भी व्यक्त की.


पार्टी का मानना है कि चुनाव के पहले आपसी तालमेल न रहने की वजह से राज्यसरकार के खिलाफ बीजेपी की लड़ाई कमजोर हो रही है. जिसका फायदा कांग्रेस को होता नजर आ रहा है. इसलिए भविष्य में एक युनिट की तरह काम करने के लिए कहा गया है. साथ भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा की गई. फिलहाल आज की बैठक पर कोई कुछ बोलने को तैयार नही है.


आपसी मतभेद पर व्यक्त की नाराजगी


मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर राजस्थान के नेताओं की अहम बैठक हुई जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सतीश पुनिया, राजेंद्र राठौर, गुलाबचंद कटारिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल राज्य के संगठन मंत्री चंद्रशेखर बैठक में शामिल हुए. पार्टी नेताओं के मुताबिक बैठक में पार्टी के अब तक के कामकाज की समीक्षा की गई और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की गई. 


लेकिन सूत्र बताते हैं कि राजस्थान बीजेपी में जिस तरह संगठन और पार्टी के नेताओं के बीच नेतृत्व को लेकर घमासान चल रहा है उसे लेकर बीजेपी हाईकमान काफी गंभीर नजर आ रही है. खासकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूमिका और संगठन के बीच समन्वय ना हो पाने को सबसे अहम माना जा रहा है.


राजस्थान में सबसे लोकप्रिय नेता वसुंधरा राजे 


दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजस्थान में सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में जानी जाती हैं. जबकि सतीश पुनिया, राजेन्द्र राठौर, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल और गुलाबचंद कटारिया जैसे दिग्गज नेता भी पार्टी में भविष्य को लेकर जोर आजमाइश कर रहे हैं. जिसका असर पार्टी के कामकाज पर नजर आ रहा है.


इसका सबसे बड़ा उदाहरण हाल ही में हुए करौली की घटना पर देखने को मिला. राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी को जिस तरह राज्य सरकार को घेरना था वैसा वह कर नहीं पाए. इसके पीछे आपस की खींचतान को सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है. सूत्रों की मानें तो इसे लेकर आज जेपी नड्डा ने न सिर्फ अपनी नाराजगी व्यक्त की बल्कि भविष्य में किसी भी तरह के मतभेद से दूर रहने की सलाह दी.


वसुंधरा राजे की राजस्थान में उपयोगिता


राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के अंदर जो भी खींचतान है उसका सबसे बड़ा कारण अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव है. विधानसभा चुनाव से पहले नेतृत्व की लड़ाई को सभी अपने अपने दांव पेंच लगा रहे हैं. फिलहाल इस मामले में वसुंधरा राजे का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है. जानकार मानते हैं कि राजस्थान में फिलहाल भारतीय जनता पार्टी की जो भी लीडरशिप है, उनमें वसुंधरा राजे का नाम सबसे बड़ा है. यहीं उनकी ताकत और यहीं कमजोरी भी है. जिसे वसुंधरा राजे भी भली-भांति जानती हैं.


यहीं कारण है कि वसुंधरा राजे किसी भी कीमत पर राजस्थान की राजनीति में अपनी जड़ों को और मजबूत करने में लगी हुई हैं. पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम पर गौर करें तो पार्टी के ज्यादातर कार्यक्रमों में वसुंधरा राजे नजर नहीं आई. इसके उलट इसी साल 8 मार्च को अपने जन्मदिन के मौके पर जब वह बूंदी में मंदिर दर्शन करने गई और एक जनसभा को संबोधित भी किया. तो उस समय करीब 11 सांसद और राजस्थान विधानसभा का सत्र छोड़कर करीब 27 से ज्यादा विधायक वहां पहुंच गए. इसे उनका शक्ति प्रदर्शन भी कहा गया.


वसुंधरा की ताकत


- जनता में सीधी पकड़
- लंबे समय तक सरकार में रहने के चलते सर्वमान्य
- जाट, राजपूत और गुर्जरों में स्वीकृति
- सिंधिया परिवार से होने के चलते पार्टी में भी स्वीकार
- लोकप्रियता में सबसे आगे


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