CM Conrad Sangama On UCC: देश में पिछले कुछ दिनों से समान नागरिक संहिता पर खूब बहस हो रही है. चुनावी राज्यों में यह बड़ा मुद्दा बन जाता है. मेघालय में आने वाले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं. चुनाव से ठीक पहले यहां भी यूनीफॉर्म सिविल कोड का जिन्न चिराग से बाहर आ गया है. मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने समान नागरिक संहिता पर बड़ा बयान दिया है.


मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने साफ कहा कि उनकी पार्टी एनपीपी समान नागरिक संहिता (UCC) का समर्थन नहीं करती है. ये बातें उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहीं. उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार कुछ चीजें लागू करना चाहती है लेकिन हम किसी भी ऐसी चीज को स्वीकार नहीं करेंगे जो मेघालय के लोगों, यहां की संस्कृति और जीवन को प्रभावित करती हो."


'UCC को स्वीकार नहीं करेगी NPP'


पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री संगमा ने कहा, "एक राजनीतिक दल के रूप में हम बहुत स्पष्ट हैं कि यूसीसी कुछ ऐसा है जिसे एनपीपी की ओर से स्वीकार नहीं किया जा सकता है." उन्होंने कहा, "इस कानून से मेघालय के लोगों की संस्कृति और जीवन के तरीके को प्रभावित नहीं करना चाहिए. ऐसे कुछ क्षेत्र हो सकते हैं जहां केंद्र सरकार चाहती है कि कुछ चीजें की जाएं, लेकिन वे ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं है."


बीजेपी ने किया था लागू करने का वादा


उन्होंने कहा, "समान नागरिक संहिता में बच्चों के बीच संपत्ति का हस्तांतरण मुद्दा भी आता है. देश के अन्य हिस्सों में जहां पिता की संपत्ति बड़े बेटे के पास जाती है वहीं, मेघालय में सबसे छोटी बेटी उत्तराधिकारी बनती है. हमारी पार्टी राज्य की सांस्कृतिक प्रथाओं में बदलाव नहीं करेगी और ना ही उसमें बदलाव करने देगी. वहीं बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में UCC को लागू करने का भी वादा किया था.


साझा सरकार में भाजपा है सहयोगी


बता दें कि मेघालय में मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (MDA) की सरकार है. 60 सदस्यीय मेघालय विधानसभा में एनपीपी के 23 सहित गठबंधन के कुल 48 विधायक हैं. भाजपा अपने दो विधायकों के साथ राज्य में नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की सहयोगी है. एनपीपी के साथ भाजपा के रिश्तों में कुछ दिनों से खटास आ रही है. 


बीजेपी सांसद ने पेश किया था प्राइवेट बिल


पिछले महीने राज्यसभा में हंगामे के बीच बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने समान नागरिक संहिता पर प्राइवेट बिल पेश किया था, जिसका विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध किया था. विपक्षी सांसदों का कहना था कि समान नागरिक संहिता के जरिए सरकार, धर्म आधारित व्यक्तिगत कानूनों को खत्म करने का प्रयास कर रही है.


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