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शिलॉन्ग: नहीं रुक रही चार दिन से जारी हिंसा, इंटरनेट पर रोक, कई इलाकों में कर्फ्यू
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अकाली दल के नेताओं और दिल्ली के बीजेपी विधायक मनजिंदर सिरसा को मेघालय सरकार से बातचीत के लिए भेजा है.
शिलॉन्ग: पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय की राजधानी शिलॉंग में पिछले चार दिनों से बवाल मचा हुआ है. कल दिनभर की शांति के बाद रात को सुरक्षाबलों पर फिर से पेट्रोल बम से हमले की खबर है जिससे तनाव बढ़ गया है. अभी भी कई इलाकों में कर्फ्यू लगा हुआ है. हिंसा के बाद सुरक्षाबल मुस्तैदी से खड़े हैं. पूरा शिलांग पुलिस छावनी में बदला हुआ है.
शिलॉन्ग में क्यों हुई हिंसा?
शिलांग की शांति गुरुवार को भंग हुई जब पंजाबी बस्ती में सिख समुदाय की कुछ महिलाओं और सरकारी परिवहन विभाग के कर्मचारियों में किसी बात को लेकर बहस हो गई. कुछ लोगों का आरोप है कि रास्ते को लेकर विवाद हुआ जबकि कुछ लोग इसमें छेड़खानी का एंगल बता रहे हैं.
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलसे से बढ़ी हिंसा
गुरुवार को जब विवाद शुरू हुआ तो खासी समुदाय के एक व्यक्ति को हलकी चोट आई. बाद में सोशल मीडिया पर किसी ने उसके मारे जाने की अफवाह फैला दी, जिससे खासी समुदाय में गुस्सा फैल गया और पंजाबी बस्ती पर हमला कर दिया गया. शहर में हिंसा फैल गई. पंजाबी बस्ती के लोगों का आरोप है कि रात में उनके घरों पर पथराव और पेट्रोल बम से हमला किया गया. तनाव को देखते हुए शिलांग में कर्फ्यू लगा है और इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं.
दो समुदायों के बीच हुई झड़प सांप्रदायिक नहीं थी- सीएम संगमा
मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने कहा है, ‘‘समस्या एक खास इलाके में एक खास मुद्दे को लेकर हुई. दो समुदाय इसमें शामिल थे, लेकिन यह सांप्रदायिक प्रवृति की चीज नहीं थी.’’ उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थ वाले संगठनों और राज्य से बाहर की मीडिया के एक हिस्से ने शिलांग में हुई झड़पों को सांप्रदायिक रंग दिया.
संगमा ने कहा कि हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए ज्यादातर लोग पूर्वी खासी हिल्स जिले से बाहर के थे. शिलांग पूर्वी खासी हिल्स जिले में ही है. उन्होंने कहा कि हिंसा का वित्तपोषण कर रहे लोगों का पता लगाया जा रहा है.
अब क्या हैं हालात?
कल शिलांग में सुबह 8 बजे से दोपहर 3 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई. कल रात पंजाबी बस्ती में भी महिलाएं तीन दिन बाद पानी भरने के लिए घरों से बाहर निकलीं. महिलाओं का कहना है कि हिंसा से उनमें अभी भी डर बैठा हुआ है. एक बुजुर्ग सिख ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि सिख समुदाय के लोग यहां दो सौ साल से रहते हैं, इसलिए वो यहां से नहीं जाएंगे न जाना चाहते हैं.
मेघालय सरकार से बातचीत के लिए पहुंचे अकाली दल के नेता
सिख बस्ती में हिंसा और सिखों पर अत्याचार को लेकर कई तरह की अफवाहें भी फैल रही थीं. इसलिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अकाली दल के नेताओं और दिल्ली के बीजेपी विधायक मनजिंदर सिरसा को मेघालय सरकार से बातचीत के लिए भेजा. सरकार और अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि लोगों की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम हैं. अफवाहों पर ध्यान न दिया जाए.
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