मेघालय: राज्यपाल, विधायक के खिलाफ कार्रवाई, हाईकोर्ट के फैसलों के नाम रहा 2017
मेघालय में इस साल राज्यपाल को अपने कार्यालय में महिलाओं को बिना रोक-टोक आने देने और राजभवन के सम्मान के ठेस पहुंचाने के आरोप में पद से इस्तीफा देना पड़ा.
![मेघालय: राज्यपाल, विधायक के खिलाफ कार्रवाई, हाईकोर्ट के फैसलों के नाम रहा 2017 Meghalaya: High Court’s decisions were made in the year 2017 मेघालय: राज्यपाल, विधायक के खिलाफ कार्रवाई, हाईकोर्ट के फैसलों के नाम रहा 2017](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2017/12/28140052/mg.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
शिलांग: मेघालय में इस साल नाबालिग से बलात्कार और सेक्स रैकेट में संलिप्तता के आरोप में जेल भेजे गए विधायक तथा राज्यपाल पर राजभवन की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप जैसे मामले छाए रहे.
इस साल जहां एक नाबालिग के साथ बलात्कार करने तथा सेक्स रैकेट के आरोप में एक विधायक को जेल जाना पड़ा, वहीं राज्यपाल को अपने कार्यालय में महिलाओं को बिना रोक-टोक आने देने और राजभवन के सम्मान के ठेस पहुंचाने के आरोप में पद से इस्तीफा देना पड़ा. मेघालय में साल 2017 की शुरुआत राज्यपाल वी. शड्मुगनाथन के खिलाफ राजभवन के कर्मचारियों के विद्रोह से हुई जिन्होंने राज्यपाल पर राजभवन की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया.
राजभवन के करीब 100 कर्मचारियों ने विरोध की आवाज उठाते हुए राज्यपाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने ‘‘कई महिलाओं को सीधे अपने शयन कक्ष तक जाने की छूट दी हुई है’’ बाद में उन्हें पद से इस्तीफा देने को कहा गया. इस साल दो और राज्यपालों ने शपथ ली. शड्मुगनाथन के बाद बनवारीलाल पुरोहित ने राज्यपाल पद की शपथ ली और उनके बाद गंगा प्रसाद ने राज्य के 17वें तथा पिछले पांच साल में पांचवें राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला.निर्दलीय विधायक जूलियस को जेल जाना पड़ा
राज्य में निर्दलीय विधायक जूलियस के. डोरफांग को एक नाबालिग के साथ कथित रूप से बलात्कार करने और एक सेक्स रैकेट से जुड़े होने के मामले में जेल जाना पड़ा. साल की पहली तिमाही में ही पुलिस ने डोरफांग सहित 19 लोगों को पॉक्सो कानून के तहत गिरफ्तार किया था. सभी अभी तक जेल में हैं. गुजरते साल में प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस को अंदरूनी विद्रोह का सामना करना पड़ा.पूर्व उपमुख्यमंत्री रोवेल लिंगदोह और उनके कैबिनेट सहयोगियों प्रेस्टोन तिंसांग तथा एस. धर सहित पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के खिलाफ खुला विद्रोह कर दिया. सभी ने समवेत स्वर में कहा कि वे दोबारा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ेंगे और वे नेशनल पीपुल्स पार्टी में शामिल होने वाले हैं.
इतना ही नहीं, इस साल उच्च न्यायालय ने 2005 के कानून के तहत नियुक्त संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अमान्य करार देकर तत्कालीन सरकार को बड़ा झटका दिया. मेघालय संसदीय सचिवों (नियुक्ति, वेतन, भत्ते और विविध) कानून, 2005 को नवंबर में अवैध घोषित कर दिया गया. इसके बाद संसदीय सचिवों को अयोग्य घोषित करने का फैसला राज्यपाल के हाथों में आ गया.उच्च न्यायालय ने कांग्रेस को दिया दूसरा झटका
इस संबंध में अदालत में जनहित याचिका दायर करने वाले कार्यकर्ता एम. सुमेर ने इन सभी को विधायक पद से बर्खास्त करने की भी मांग की थी, हालांकि इन सभी ने अदालत का फैसला आने के साथ ही इस्तीफा दे दिया था. नवंबर में ही उच्च न्यायालय ने कांग्रेस को दूसरा झटका देते हुए साल 2009 में 15 केन्द्रों में नियुक्त शिक्षकों में से पांच केन्द्रों शिलांग, जोवई, अमलारेम, तुरा और डाडेंग्गरे में नियुक्तियों को रद्द कर दिया. सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी और चयन प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ियां मिलने के बाद एजेंसी को इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया था. सीबीआई ने यह साबित किया कि कुल 365 में से 268 नियुक्तियां अवैध तरीके से हुई हैं जिनमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अभ्यर्थियों के अंकपत्रों आदि में बदलाव किया है. लेकिन राज्य सरकार ने इस संबंध में अपने रुख का बचाव किया और मुख्यमंत्री संगमा ने शिक्षा विभाग को फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने को कहा.राज्य में अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव
दूसरे घटनाक्रम में एक कार पर पेड़ गिरने के कारण उसमें सवार तीन लोगों की मौत के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करने से रोक दिया. सरकार की मंशा शहर से करीब 550 पेड़ों को काटने की थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी साल के अंत में मेघालय गये और 271 किलोमीटर लंबे पूर्व-पश्चिम गलियारे का उद्घाटन किया. यह गलियारा गारो हिल्स में तुरा को वेस्ट खासी हिल्स के नोंगस्टोइन से जोड़ता है. राज्य में अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव होने हैं.![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
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