श्रीनगर: पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत लगाए गए आरोपों को इस केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन द्वारा हटा लिए जाने के बाद मंगलवार रात रिहा कर दिया गया. रिहा होते ही महबूबा मुफ्ती ने ऐलान किया है कि अनुच्छेद-370 की बहाली के लिए फिर से संघर्ष शुरू करेंगी.


महबूबा ने कहा, "मैं एक साल से ज्यादा समय के बाद रिहा हुई हूं. इस दौरान 5 अगस्त 2019 के काले दिन का काला फैसला हर पल मेरे दिल और रुह पर वार करता रहा. मुझे अहसास है कि ऐसी ही स्थिति जम्मू-कश्मीर के तमाम लोगों की रही होगी. हम में से कोई भी शख्स उस दिन की बेइज्जती को कभी भूल नहीं सकता."


उन्होंने आगे कहा, "दिल्ली दरबार में 5 अगस्त को गैर कानूनी तरीके से जो हमसे छीन लिया गया, अब उसे वापस लेना होगा. जम्मू-कश्मीर में हजारों लोगों ने अपनी जान न्योछावर की, उसे हल करने के लिए अपनी जद्दोजहद वापस रखनी होगी. मैं चाहती हूं कि जम्मू-कश्मीर के जितने भी लोग जेलों में बंद हैं, उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए."





14 महीने बाद हुईं रिहा
सुप्रीम कोर्ट में महबूबा को हिरासत में रखने से जुड़े मामले पर अगली सुनवाई होने से महज दो दिन पहले रिहा किया गया है. पिछले साल अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया था. उनकी हिरासत इस साल 31 जुलाई को तीन महीने के लिए बढ़ा दी गयी थी.


महबूबा (60) को पिछले साल पांच अगस्त को पहले एहतियाती हिरासत में रखा गया था और बाद में छह फरवरी को उन पर कठोर पीएसए कानून लगा दिया गया. उन्हें सात अप्रैल को उनके सरकारी निवास में ले जाया गया जिसे प्रशासन ने पहले उप-जेल घोषित किया था.


सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन से मांगा था जवाब
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को भी पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था लेकिन उन्हें मार्च में रिहा कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 29 सितंबर को सुनवाई के दौरान जम्मू कश्मीर प्रशासन को इस बात पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए दो सप्ताह का वक्त दिया था कि महबूबा को कब तक हिरासत में रखा जा सकता है और क्या उनकी हिरासत एक साल के बाद भी बढ़ायी जा सकती है.


सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था, ‘‘उनकी हिरासत पर जम्मू कश्मीर प्रशासन का क्या प्रस्ताव है.’’ अदालत इस विषय पर इसी सप्ताह सुनवाई करने वाली थी.


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