जम्मू कश्मीरः महबूबा मुफ्ती का एलान, राज्यपाल के आदेश के खिलाफ कोर्ट नहीं, जनता की अदालत में जाएंगीं
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अब एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने संकेत दिया है कि वो राज्यपाल के आदेश के खिलाफ अदालत का रुख नहीं करेंगी.
नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी. गौर करने लायक बात ये है कि राज्य में उसी दिन यानी 21 नवंबर को पीडीपी, एनसी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था लेकिन राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी. अब राज्य में मई 2019 के पहले ही विधानसभा चुनाव होंगे. कहा जा था रहा था कि इस फैसले के खिलाफ राज्य की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती कोर्ट जा सकती हैं लेकिन आज इसको लेकर किए गए उनके एक ट्वीट से ये संभावना खत्म होती दिख रही है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अब इसको लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने संकेत दिया है कि वो राज्यपाल के आदेश के खिलाफ अदालत का रुख नहीं करेंगी. महबूबा मुफ्ती ने आज ट्वीट में लिखा कि मेरे शुभचिंतकों ने सलाह दी है कि राज्यपाल के विधानसभा भंग करने के फैसले के खिलाफ मुझे अदालत जाना चाहिए. पीडीपी, एनसी और कांग्रेस साथ मिलकर इसलिए आए थे जिससे राज्य की भलाई हो सके. मेरा मानना है कि हमें लोगों की अदालत में जाना चाहिए जो किसी भी अन्य फोरम से बड़ी और ऊंची है.
Some sincere suggestions from well wishers for me to go to court against Governor's dissolution of assembly. PDP, NC, INC had come together to safeguard state interests. It is my considered opinion that we must go to people's court which is superior to any other forum.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 26, 2018
इस ट्वीट से ऐसा लगता है कि महबूबा मुफ्ती राज्यपाल के आदेश को चुनौती देने कोर्ट में नहीं जाएंगी और अब जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव ही राज्य में नई सरकार की तस्वीर साफ करेंगे.
दरअसल पीडीपी के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करने वाली कांग्रेस ने कहा था कि महबूबा मुफ्ती को राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाना चाहिए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर से सांसद रहे सैफुद्दीन सोज ने कहा, 'पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को इस मामले को लेकर कोर्ट जाना चाहिए. राज्यपाल ने केंद्र सरकार के इशारे पर अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से विधानसभा भंग की है. महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन मिलने के बाद ही पत्र लिखा था और राज्यपाल को सरकार बनाने का एक मौका देना चाहिए था.'
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक संक्षिप्त बयान में कहा था कि जम्मू और कश्मीर के संविधान से मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए विधानसभा को भंग कर रहे हैं, जिसका कार्यकाल अभी दो साल बाकी था.
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