श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि 11 सरकारी कर्मचारियों को ‘मामूली आधारों’ पर बर्खास्त करना अपराध है. केंद्र संविधान को रौंदकर छद्म राष्ट्रवाद की आड़ में जम्मू-कश्मीर के लोगों को नि:शक्त बना रहा है.


महबूबा ने ट्वीट किया, “भारत सरकार उस संविधान को रौंदकर छद्म राष्ट्रवाद की आड़ में जम्मू-कश्मीर के लोगों को नि:शक्त बनाना जारी रखे हुए है, जिसे बरकरार रखा जाना चाहिए. तुच्छ आधारों पर 11 सरकारी कर्मचारियों की अचानक बर्खास्तगी अपराध है. जम्मू-कश्मीर के सभी नीतिगत फैसले कश्मीरियों को दंडित करने के एकमात्र उद्देश्य से किए जाते हैं.’’



बता दें कि जम्मू कश्मीर सरकार ने आतकंवादी संगठनों के सहयोगी के रूप में कथित तौर पर काम करने को लेकर हिज्बुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों और दो पुलिस कर्मियों सहित अपने 11 कर्मचारियों को शनिवार को बर्खास्त कर दिया.


अधिकारियों ने बताया कि बर्खास्त किए गए कर्मचारी शिक्षा, पुलिस,कृषि, कौशल विकास, बिजली,स्वास्थ्य विभाग तथा एसकेआईएमएस (शेर ए कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से थे. अधिकारियों ने बताया कि इन 11 कर्मचारियों में अनंतनाग से चार, बडगाम से तीन और बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और कुपवाड़ा से एक-एक हैं. उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त किया गया है. इस अनुच्छेद के तहत कोई जांच नहीं की गई और बर्खास्त कर्मचारी राहत पाने के लिए सिर्फ हाई कोर्ट का रुख कर सकते हैं.


अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के मामलों की निगरानी के लिए गठित समिति ने अपनी दूसरी और चौथी बैठक में क्रमश: तीन और आठ कर्मचारियों को सरकारी सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की थी. उन्होंने बताया कि हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना के बेटों सैयद अहमद शकील और शाहिद युसूफ को भी आतंकी वित्त पोषण में कथित तौर पर संलिप्त रहने को लेकर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.


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