अलगाववादी नेता यासिन मलिक की गिरफ्तारी पर महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल, पूछा- क्या यह जायज है?
जम्मू-कश्मीर में पिछले 24 घंटे में दर्जनों अलगाववादी नेताओं को हिरासत में लिया गया है. प्रशासन की इस कार्रवाई पर पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने सवाल उठाए हैं.
श्रीनगर: अनुच्छेद 35ए पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होने वाली सुनवाई से पहले जम्मू-कश्मीर के कई अलगाववादी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है. पुलिस ने कल शाम को जेकेएलएफ नेता यासिन मलिक और उसके बाद रात में जमात-ए-इस्लामी के नेताओं को हिरासत में ले लिया.
जमात के एक प्रवक्ता ने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों में प्रमुख (अमीर-ए-जमात) अब्दुल हमीद फयाज भी शामिल हैं. अधिकारियों ने इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि 5,000 से अधिक कैडर वाले सबसे पुराने धार्मिक-राजनीतिक संगठन पर छापेमारी की आवश्यकता क्यों पड़ी.
नेताओं की गिरफ्तारी पर PDP नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गिरफ्तारियों का विरोध किया है. उन्होंने कहा, ''पिछले 24 घंटों में, हुर्रियत नेताओं, जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. किस कानूनी आधार के तहत उनकी गिरफ्तारी जायज है? आप किसी व्यक्ति को नहीं बल्कि उसके विचारों को कैद कर सकते हैं.''
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि यह अलगाववादी समूह तहरीक-ए-हुर्रियत से संबद्ध संगठन पर पहली बड़ी कार्रवाई है. जमात ने एक बयान जारी कर हिरासत में लिये जाने की निंदा की और कहा है, ‘‘...यह कदम इस क्षेत्र में और अनिश्चितता का राह प्रशस्त करने के लिए भली-भांति रची गई साजिश है.’’ अनुच्छेद 35A पर सुनवाई से पहले कश्मीर भेजी गई सुरक्षाबलों की 120 कंपनियां, यासीन मलिक हिरासत में जमात ने दावा किया 22 और 23 फरवरी की दरम्यानी रात में पुलिस और अन्य एजेंसियों ने एक व्यापक गिरफ्तारी अभियान चलाया और घाटी में कई घरों पर छापेमारी की. उसके केन्द्रीय और जिला स्तर के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया जिसमें अमीर (प्रमुख) डॉ. अब्दुल हमीद फैयाज और वकील जाहिद अली (प्रवक्ता) शामिल हैं.In the past 24 hours, Hurriyat leaders & workers of Jamaat organisation have been arrested. Fail to understand such an arbitrary move which will only precipitate matters in J&K. Under what legal grounds are their arrests justified? You can imprison a person but not his ideas.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) February 23, 2019
वहीं अकाली दल के नेताओं को उस वक्त हिरासत में ले लिया गया जब श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा फहराने की कोशिश कर रहे थे.
अनुच्छेद 35ए पर सुनवाई को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. साथ ही केंद्र सरकार ने सुरक्षाबलों की 120 कंपनियां जम्मू-कश्मीर भेजी है. एक कंपनी में 100 जवान होते हैं. अनुच्छेद 35A प्रावधान जम्मू कश्मीर के बाहर के व्यक्ति को जम्मू-कश्मीर में अचल संपत्ति खरीदने से प्रतिबंधित करते हैं.
अनुच्छेद 35ए पर सुनवाई ऐसे समय में हो रही है जब 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गए हैं.