Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू कश्मीर में जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे नेताओं के एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. इस बीच पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर हमाल बोला है. इस दौरान उन्होंने जमाए-ए-इस्लामी पार्टी पर से बैन हटाने की भी बात कही. 


महबूबा का नेशनल कॉन्फ्रेंस पर निशाना


पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात के दौरान कहा कि सत्ता के लिए हमेशा नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यह तरीका अपनाया है कि कभी चुनाव का बहिष्कार किया तो कभी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया. उन्होंने कहा कि ये नेशनल कॉन्फ्रेंस ही थी, जिसने जमात-ए-इस्लामी के लिए चुनाव को हराम बना दिया था. उन्होंने कहा कि साल 1987 में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनाव में गड़बड़ियां की ताकि विपक्ष को खत्म किया जा सके.


जमात-ए-इस्लामी पर से हटे बैन- पीडीपी चीफ


पीडीपी चीफ ने कहा कि वह जमात पर से प्रतिबंध हटाए जाने के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा, "यह अच्छी बात है कि जमात-ए-इस्लामी चुनाव लड़ना चाहती है. सरकार ने इनकी जितनी भी संपत्तियां और संस्थाएं फ्रीज की है, उन्हें वापस किया जाना चाहिए. 35 साल तक जमात-ए-इस्लामी ने एक खास राजनीतिक विचारधारा का पालन किया, जो अब बदल गई है, जो अब अच्छा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनावों के साथ हलाल और हराम की प्रणाली की शुरुआत की."


महबूबा मुफ्ती ने पूछा, "सैयद अली शाह गिलानी (अलगाववादी नेता और दिवंगत हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष) बहुत पहले से ही चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा बन गए थे, लेकिन जमात-ए-इस्लामी या एमयूएफ (मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट) सहित अन्य दलों की चुनाव में भागीदारी को किसने हराम बना दिया?"


पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया, "जब एमयूएफ के रूप में जम्मू कश्मीर में तीसरी ताकत सामने आई तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने धांधली कीं, जिससे उसने अन्य दलों के लिए चुनावों के दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर दिए."


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