Jammu Kashmir Delimitation: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने निशाना साधते हुए कहा कि पूरे देश में परिसीमन 2026 में हो रहा है तो यहां क्या जल्दी है. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ हुई जम्मू-कश्मीर के सभी दलों की बैठक पर कहा कि वो (पीएम) 20 मिनट पार्टी से मिले तो क्या 20 मिनट में फैसला हो सकता है?


महबूबा मुफ्ती ने कहा, “परिसीमन पूरे देश में 2026 में हो रहा है तो यहां क्या जल्दी है. वो (पीएम मोदी) 20 मिनट पार्टी से मिले..तो क्या 20 मिनट में फैसला हो सकता है?” इतना ही नहीं, उन्होंने ये भी कहा कि जम्मू में लोग पानी के लिए तड़प रहे हैं, बिजली नहीं है और बेरोजगारी रोज बढ़ रही है.


पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, “जम्मू में इतनी महंगाई है कि यहां के लोग पानी के लिए तड़प रहे हैं, बिजली नहीं, बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है. जम्मू में माइनिंग बंद है. वे कहते थे कि जम्मू में दूध की नदियां बहेंगी. जबकि यहां इतनी दिक्कते हैं.”


सरकारी कर्मचारियों के बर्खास्तगी पर किए ट्वीट पर क्या कहा?


जम्मू-कश्मीर के 11 सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि ये ‘अपराध’ है. इसमें आतंकी सैयद सलाउद्दीन के दो बेटे भी शामिल हैं. अपने ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वो किसी का समर्थन नहीं करती हैं. उन्होंने कहा कि आप किसी बच्चे को उसके पिता के कार्यों के लिए तब तक जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते जब तक कि आपके पास सबूत न हो. ये 11 लोग नहीं है, उन्होंने इस साल 20-25 लोगों को बर्खास्त किया है. इसके साथ ही महबूबा मुफ्ती ने कहा, “मैंने ये बार बार कहा है कि आप किसी व्यक्ति को पकड़ सकते हैं लेकिन विचार को कैद नहीं कर सकते. आपको विचारों को सुनना होगा.”


महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा था?


जम्मू कश्मीर सरकार ने आतकंवादी संगठनों के सहयोगी के रूप में कथित तौर पर काम करने को लेकर हिज्बुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों और दो पुलिस कर्मियों सहित अपने 11 कर्मचारियों को शनिवार को बर्खास्त कर दिया. इस पर महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करते हुए कहा था, “भारत सरकार उस संविधान को रौंदकर छद्म राष्ट्रवाद की आड़ में जम्मू-कश्मीर के लोगों को नि:शक्त बनाना जारी रखे हुए है, जिसे बरकरार रखा जाना चाहिए. तुच्छ आधारों पर 11 सरकारी कर्मचारियों की अचानक बर्खास्तगी अपराध है. जम्मू-कश्मीर के सभी नीतिगत फैसले कश्मीरियों को दंडित करने के एकमात्र उद्देश्य से किए जाते हैं.’’


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