तारीख पर तारीख के दांव में अटका डोमेनिका की अदालत में मेहुल चोकसी का मामला
एंटीगुआ में स्थानीय एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि आखिर कैसे और किन परिस्थितियों में वो देश से बाहर गया. क्योंकि मेहुल यह दावा कर रहा है कि उसे अपहरण कर डोमेनिका पहुंचाया गया है.
नई दिल्ली: भारत के भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के मामले पर डोमेनिका की अदालत में चल रही सुनवाई 3 जून को भी बेनतीजा मोड़ पर अटक गई. अदालत ने दोनों तरफ की वकीलों की तरफ से उठाए गए सवालों पर संबंधित पक्षों से स्पष्टीकरण मांगा है. वहीं इस बारे में अगली सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को आपस में सहमति बनाकर कोर्ट को बताने के लिए भी कहा है.
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक अदालत दोनों पक्षों की सहमति को सुनने के बाद हेबियस कार्पस की याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख तय करेगी. सूत्र बताते हैं कि जज बर्नी स्टीफानसन ने मेहुल के वकीलों की तरफ से पुलिस प्रमुख व अटॉर्नी जनरल से इस मामले में देर से दाखिल हलफनामों के सवाल पर स्पष्टीकरण मांगा. साथ ही मेहुल के वकीलों को कानूनी प्रक्रिया के गलत इस्तेमाल संबंधी सरकारी पक्ष की दलीलों पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. इसके लिए दोनों पक्षों को आपसी सहमति से सुनवाई के लिए तारीख तय करने को भी कहा है.
साथ ही सूत्र बताते हैं कि अदालत ने इस मामले में मेहुल के वकीलों की तरफ से उसे कथित अवैध हिरासत में रखे जाने के खिलाफ अपील की गई थी. इस बीच मेहुल अभी भी पुलिस की हिरासत में है. उसे राजधानी रोसाउ स्थित डोमेनिका-चायना अस्पताल में रखा गया है. हालांकि खबर लिखे जाने तक अगली सुनवाई की तारीख उजागर नहीं की गई.
महत्वपूर्ण है कि 2 जून को उच्च न्यायालय के आदेश के बाद चोकसी को मजिस्ट्रेट के सामने उसे पेश किया गया. निचली अदालत ने जहां चोकसी की जमानत याचिका खारिज कर दी वहीं उसकी तरफ से डोमेनिका में अवैध एंट्री के खिलाफ अपील करते हुए खुद को निर्दोष बताने की अपील को भी खारिज कर दिया था.
मेहुल के वकीलों ने जहां बड़ी रकम के साथ जमानत हासिल करने की कोशिश की. वहीं उसके लिए जुटी कानूनचियों की टीम पूरी कोशिश में लगी है कि जब भी उसे डोमेनिका से हटाने का फैसला हो तो उसे एंटीगुआ ही भेजा जाए. हालांकि भारत की कोशिश अपने दावों और इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस पर भी टिकी है जिसका हवाला डोमेनिका के सरकारी पक्ष ने भी अदालत में दिया.
इस बीच एंटीगुआ की कैबिनेट में भी इस मामले पर चर्चा हुई. एंटीगुआ के प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली जानकार के मुताबिक गैस्टन ब्राउन सरकार इसी पक्ष में है कि उसे वापस लौटाने की बजाए डोमेनिका सरकार भारत को सौंप दे जहां वो वांछित है. साथ ही मंत्रिमंडल ने इस बात पर भी राय जताई कि फिलहाल भले ही मेहुल डोमेनिका का सिरदर्द हो लेकिन लौटने पर वो एंटीगुआ-बार्बुडा सरकार के लिए परेशानी बनेगा.