Mephedrone Drug Case: महाराष्ट्र के पुणे में पुलिस ने 20 किलो मेफेड्रोन नामक ड्रग के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. मेफेड्रोन को 'म्याऊं-म्याऊं ड्रग' के तौर पर भी जाना जाता है. इस मामले में पुलिस को चौंकाने वाले सबूत हाथ लगे हैं. तीनों आरोपी एक गाड़ी में सवार थे. पुलिस ने गाड़ी रोककर तलाशी ली तो उसमें 20 किलो मेफेड्रोन बरामद हुआ.


आरोप है कि जब्त किया गया मेफेड्रोन पुणे जिले के रांजनगांव एमआईडीसी के संयोग बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में तैयार किया गया था. कंपनी के मालिक अशोक संकपाल थे लेकिन मेफेड्रोन की फैक्ट्री के मास्टरमाइंड छोटा राजन के साथी तुषार काले और राकेश खानिवडेकर थे.


फैक्ट्री पुणे के बाहरी इलाके में है. केवल 15 दिनों में 132 किलो मेफेड्रोन तैयार किया गया. उसमें से 112 किलो मेफेड्रोन लेकर तुषार काले और राकेश खानिवडेकर मुंबई में गए और उन्होंने उस मेफेड्रोन को बेच दिया. बाकी बचे 20 किलो मेफेड्रोन को उन्होंने कंपनी में ही लाकर छोड़ दिया था.


मामला 2020 का है. कोरोनाकाल में लॉकडाउन लगने से तस्कर ड्रग्स की खेप बाहर नहीं निकाल पाए, इसलिए 20 किलो मेफेड्रोन को बेचने का फैसला हुआ और आरोपी इसे बेचते हुए पकड़े गए. 


आखिर मेफेड्रोन है क्या?



  • मेफेड्रोन ड्रग हेरोइन और कोकीन से भी ज्यादा नशीला होता है.

  • मेफेड्रोन कोई दवा नहीं होती है, बल्कि पौधों के लिए बनी सिथेंटिक खाद है.

  • यह कोकीन और हेरोइन दोनों की तुलना में बहुत ही सस्ता होता है.


यह ड्रग सबसे ज्यादा नाइजीरिया और अफगानिस्तान में तैयार किया जाता है. यह ड्रग 2010 में चलन में आया. 2015 में सरकार ने इस पर पाबंदी लगा दी थी. फैक्ट्री में मेफेड्रोन बनाने के लिए तस्करों ने बकायदा पूरी ट्रेनिंग कर ली थी. 


पुणे से नासिक तक फैला था मेफेड्रोन ड्रग का जाल


मामले में जिस अरविंद कुमार लोहारे का नाम आया है वो साइंटिस्ट के तौर पर पहले केमिकल कंपनियों में काम करता था. आरोप है कि ज्यादा रुपये कमाने के लिए साइंटिस्ट ड्रग्स के धंधे में आया था. मेफेड्रोन ड्रग का जाल पुणे से नासिक तक फैला था. पुलिस ने नासिक की फैक्ट्री में छापा मारा तो तैयार ड्रग्स के साथ ही 100 किलो से ज्यादा मेफेड्रोन बनाने का रॉ मैटेरियल भी बरामद किया गया. 


ड्रग रैकेट का मास्टरमाइंड फरार


मामले में आरोपी ड्रग सप्लायर ललित पाटिल अब भी फरार है. आरोप है कि उसके छोटे भाई भूषण पाटिल के माध्यम से नासिक में ड्रग्स बनाने का कारखाना चल रहा था. ड्रग्स रैकेट का मास्टरमाइंड ललित पाटिल ही बताया जा रहा है.


यरवदा जेल में कैद ललित इलाज के बहाने ससून अस्पताल के वार्ड नंबर 16 में भर्ती था और अस्पताल से ही ड्रग रैकेट चला रहा था. दो दिन पहले ससून अस्पताल के गेट पर दो करोड़ की ड्रग्स मिली थी. ललित इसका भी सूत्रधार था. पूछताछ चल ही रही थी कि वह पुलिस की हिरासत से फरार हो गया. उसका सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है. ड्रग्स तस्करी के मास्टमाइंड के फरार होने के बाद 10 पुलिसवालों को सस्पेंड किया जा चुका है.


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