नई दिल्ली: सीमा पर तनाव के बीच हाल के दिनों में लोगों ने ‘बायकॉट चाइना’ का नारा दिया. सामाजिक संगठनों और आम लोगों ने चीन में बने सामान के बहिष्कार करने का मन बनाया ताकि उसे आर्थिक मोर्च पर झटका दिया जाए. इस बीच सरकार ने लोकसभा में चीन के साथ आयात को लेकर ब्यौरा दिया.


मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स ने लोकसभा में जो जानकारी दी है उसके मुताबिक चीन से आयात में गिरावट देखी गई है और ये 2017-18 से लगातार जारी है. मंत्रालय के मुताबिक, साल 2017-18 के दौरान चीन से 76.38 बिलियन डॉलर का सामान आयात किया गया था. साल 2018-19 में इसमें गिरावट देखी गई और ये घटकर 70.31 बिलियन डॉलर पर आ गया.






ये गिरावट आगे भी जारी रही. वहीं 2019-20 में ये घटकर 65.26 बिलियन पर आ गया. वहीं 2019-20 के अप्रैल-जून तिमाही में ये 17.26 बिलियन डॉलर पर था जो कि 2020-21 के अप्रैल-जून की तिमाही 11.01 बिलियन डॉलर पर आ गया.


सरकार ने जो आंकड़े बताएं हैं उसमें 2020-21 के अप्रैल-जून के आयात पर सीमा विवाद का असर देखा गया है, ऐसा कहा जा सकता है क्योंकि ये सबसे कम है. इस बीच सीमा पर तनाव घटाने के लिए भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने और सैनिकों की वापसी पर दोनों देशों के बीच बनी पांच सूत्रीय सहमति को लागू करने के लिए सोमवार को वार्ता की.


सरकारी सूत्रों ने बताया कि छठे दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर के पार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ स्थित मोल्डो में सुबह करीब नौ बजे शुरू हुई. भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह कर रहे हैं.


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