नई दिल्ली: कांग्रेस ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के शिकागो व्याख्यान का सार्वभौम संदेश सर्वकालिक है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस भारत के निर्माण की बात कर रहे हैं वह इस महान आध्यात्मिक विभूति की सोच से ‘कोसों दूर है.’ शिकागो के विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान के 125 साल होने का उल्लेख हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि उन्होंने धरती पर सांप्रदायकिता, मतान्धता, कट्टरवाद बढ़ने की जो बात कही थी वह आज भी प्रासंगिक है.
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने 1893 के शिकागो व्याख्यान में सहिष्णुता एवं सार्वभौम स्वीकार्यता की बात कही थी. ‘आज हम पहले से कहीं अधिक उन पूर्वाग्रहों की चुनौती से घिरे हुए हैं जिनकी स्वामीजी ने चर्चा की थी.’ कांग्रेस अध्यक्ष ने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा कि वह इस बात की गंभीरता से उम्मीद करती हैं कि स्वामी विवेकानंद के प्रेरणाप्रद विचार आने वाले समय में देश के सभी लोगों विशेषकर युवाओं का मार्गदर्शन करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘आज के असहिष्णुता एवं घृणा के माहौल में स्वामीजी का संदेश आगे बढ़ने के लिए मैग्ना कार्टा (अधिकारों का दस्तावेज)होना चाहिए.’ सोनिया ने कहा कि स्वामी विवेकानंद 1893 में विश्व धर्म संसद में हिन्दुत्व एवं भारत के प्रतिनिधि के तौर पर शिकागो गए थे. उन्होंने भगवद्गीता का विद्वतापूर्ण उल्लेख करते हुए कहा, ‘सांप्रदायिकता, धर्मान्धता और उनके भयावह वंशज कट्टरता इस सुंदर पृथ्वी पर काफी पहले व्याप्त हो चुकी थी. उनके कारण पृथ्वी पर प्राय: हिंसा फैलती रही और कई बार यह मानवीय रक्त से भींग गयी, सभ्यताएं नष्ट हो गयी और पूरा देश निराशा में भर गया.’ सोनिया ने कहा कि यह सार्वभौम संदेश सर्वकालिक है. यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि यह 124 साल पहले था.
इसी मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘दुर्भाग्य की बात है कि मोदी जी जिस भारत के निर्माण की बात कर रहे हैं.. वो भारत विवेकानंद जी की सोच और विचारों से कोसों दूर है. विवेकानंद जी का भारत सच, प्रगतिशीलता, उदारवादी सोच, शांति और सद्भावना वाला भारत था. आपसी वैमनस्य से मीलों दूर था.’ उन्होंने कहा कि आज का भारत, मोदीजी का भारत आडंबर, झूठ घृणा, कट्टरता और हिंसा के वातावरण से ओत-प्रोत है. युवा भारत, नया भारत सच में बेरोजगारी वाला भारत बन गया है. प्रधानमंत्री ने इसकी चर्चा नहीं की है.
सिंघवी ने कहा, ‘..प्रधानमंत्री जी आपके शब्दों, कथनी और करनी में आसमान और पाताल का फर्क है. सच्चाई यह है कि आपकी सरकार स्वामी विवेकानंद जी के शब्दों, उनकी आत्मा के ठीक विपरीत काम कर रही है.
शिकागो में स्वामी विवेकानंद के भाषण की 125वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्वामी विवेकानंद के योगदान की चर्चा करते हुए स्वच्छता पर विशेष जोर दिया.