मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप, टेलीग्राम और सिग्नल को भारत में लाखों यूजर्स के लिए अपनी सबसे बड़ी गोपनीयता प्रस्ताव को समाप्त करना पड़ सकता है यानी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को. वहीं सरकार के मुताबिक फ्लैग्ड मैसेज के ओरिजिनेटर का पता लगाने की बेहद जरूरत है जो देश की सुरक्षा और संप्रभुता और रेप से संबंधित गंभीर प्रकृति के अपराधों का मुख्य कारण बनते हैं. हालांकि आलोचकों का कहना है कि नए नियम निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमजोर करेंगे.


टेलीग्राम और सिग्नल जैसे प्लेटफार्म, जिन्होंने हाल ही में भारत में यूजर्स हासिल किए हैं उन पर भी नए नियमों का पालन करने संबंधित दबाब बनाए जाए की उम्मीद है. बता दें कि व्हाट्सएप और सिग्नल में सभी मैसेजेस के लिए एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन है जबकि टेलीग्राम इसे कुछ फीचर्स के साथ उपलब्ध कराता है.


मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर एन्क्रिप्शन को रोकने पर जोर नहीं


वहीं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार इन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर एन्क्रिप्शन को रोकने पर जोर नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि जब हम पहले ओरिजिनेटर के बारे में बात कर रहे हैं, तो हम उन्हें कंटेंट का खुलासा करने के लिए नहीं कह रहे हैं. सीधा सवाल ये है कि यह शरारत किसने शुरू की? यह केवल उन मुद्दों के संबंध में होगा जहां सजा पांच साल से अधिक है, जैसे कि सुरक्षा, भारत की संप्रभुता, बलात्कार आदि. "उन्होंने कहा कि कानून के दुरुपयोग से बचने के लिए उचित" सुरक्षा उपाय "किए गए हैं."


 मैसेज को सबसे पहले शेयर करने वाला होगा पहला ओरिजनेटर


नियमों के तहत,  दूसरे यूजर या ओरिजिनेटर से संबंधित इंफोर्मेंशन या मैसेज के कंटेंट का खुलासा करने के लिए किसी भी इंटरमीडियरी की जरूरत नहीं होती. यदि मैसेज विदेशों में शुरू हुआ है, तो भारत में कंटेंट शेयर करने वाले पहले व्यक्ति को "पहला ओरिजिनेटर" माना जाएगा. नियम यह भी निर्धारित करते हैं कि उन मामलों में कोई आदेश पारित नहीं किया जाएगा जहां अन्य कम दखल देने वाले साधन सूचना के ओरिजिनेटर की पहचान करने में प्रभावी हैं. वहीं व्हाट्सएप, सिग्नल और टेलीग्राम ने सवालों का कोई जवाब नहीं दिया है.


कंपनियों को टेक्निकल बुनियादी ढांचे ऑपरेटिंग मॉडल को करना होगा ट्विस्ट


वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि नियम संभवतः लोकतांत्रिक देशों में सबसे सख्त हैं. मैसेजिंग ऐप्स को ट्रैसबिलिटी को सक्षम करने और स्वैच्छिक सत्यापन के भारत के आदेश को समायोजित करने के लिए अपने तकनीकी बुनियादी ढांचे और ऑपरेटिंग मॉडल को ट्विस्ट करना होगा.


गौरतलब है कि भारत सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए बीते दिन नई गाइडलाइन्स जारी की थी. इसके मुताबिक सोशल मीडिया पर गलत कंटेट या आपत्तिनजक पोस्ट डाले वाले की पहचान कंपनियों को बतानी होगी. यानी, जहां से गलत पोस्ट हुआ उसके बारे बताना होगा.


ये भी पढ़ें


कोयला घोटाला: CBI ने की कोलकाता में व्यवसायी के ठिकानों पर छापेमारी, ममता परिवार तक पहुंची जांच की आंच


Mukesh Ambani House: 'पूरे अबांनी परिवार को उड़ाने की धमकी', जानिए- इस मामले की अब तक की 10 बड़ी बातें