नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर चल रहे #MeToo कैंपेन के तहत महिलाएं अपने साथ हुए उन सेक्सुअल असॉल्ट की घटनाओं को अब सबके सामने ला रही हैं, जिसे वो किसी दबाव या फिर किसी और वजह से पहले नहीं बता पाई थीं. इन घटनाओं में कुछ तो हाल की हैं लेकिन कुछ घटनाएं कई साल पहले की भी हैं. इसीलिए, इस मुहिम को लेकर लोगों की अलग-अलग राय बन गई है. इन लोगों में कुछ वो हैं जो इसका पूरी तरह समर्थन कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ये तर्क दे रहे हैं कि महिला ने घटना के वक्त कुछ क्यों नहीं बोला या कोई कानूनी कदम क्यों नहीं उठाया?
क्या अब कोई कानूनी कदम उठाया जा सकता है?
सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर सालों पुराने मामलों को उजागर करने का क्या फायदा है? सवाल ये भी है कि क्या 10 साल, 20 साल, 30 साल पुराने मामले में भी आज FIR दर्ज हो सकती है? हो सकता है कि किसी विशेष वजह से यौन शोषण की ये घटनाएं सामने न आ पाई हों. लेकिन, अब हालात ऐसे बन गए हों कि अब ये घटनाएं सबके सामने आ जाए,
मान लीजिए कि 4 साल की बच्ची के साथ कोई यौन शोषण की घटना हुई हो. बच्ची ने उस वक्त किसी से कुछ नहीं बताया. (हो सकता है बच्ची को समझ ही न आया हो कि उसके साथ क्या हुआ.) अब जब बच्ची 20 साल की हो गई तो उसने ये बात सबको बताई कि उसके साथ बचपन में सेक्सुअल असॉल्ट हुआ था. लड़की उस इंसान का नाम भी बताती है जिसने उसके साथ ये किया. अब ऐसे में इस घटना को तो 15 साल से ज्यादा हो गए, तो क्या उस लड़की के पास अधिकार है कि वो इतने सालों बाद उस इंसान पर कोई कानूनी कदम उठा सके ?
इसका जवाब है- हां. किसी भी जघन्य अपराध के लिए भारतीय कानून समय की बंदिशों में नहीं बंधा है. मामला चाहे तीन घंटे पहले का हो या फिर 30 साल पहले का, शिकायत होने पर आरोपी के खिलाफ कभी-भी कार्रवाई की जा सकती है. यहां तक कि भारतीय कानून, पुलिस को ये अधिकार देता है कि वो आरोपी को गिरफ्तार कर सके, भले ही आरोपी कितना ही इज्जतदार क्यों न हो.
आरोपी को मिलती है सजा
यहां ये भी बात बतानी जरूरी है कि अक्सर इस तरह के मामलों में शिकायत करने पर शिकायतकर्ता का पक्ष कमजोर होता है क्योंकि मामला काफी पुराना होता है. इस वजह से मामले से जुडें सबूत जुटाने और जांच करने में पुलिस को भी काफी मुश्किल होती है. हालांकि, शिकायतकर्ता के पक्ष में एक बात जरूर होती है कि शिकायत करने के बाद मामला पब्लिक डोमेन में आ जाता है, जिससे समाज में आरोपी के सम्मान को नुकसान पहुंचता है. मामले में अगर आरोपी के खिलाफ अपराध का कोई भी सबूत मिलता है तो उसे सजा भी हो सकती है.
सिर्फ छोटी बच्चियां ही नहीं हैं जो अपने साथ हुए यौन शोषण के बारे में नहीं बता पाती, बल्कि कई महिलाओं को भी किसी वजह से चुप रहना पड़ा है. #MeToo मुहिम से किसी को सजा तो नहीं मिल रही, लेकिन इससे समाज में ये संदेश तो मिल ही रहा है कि बस अब बहुत हो गया. महिलाएं अब और यौन शोषण नहीं सहेंगी और ना ही अब चुप रहेंगी. इस मुहिम की वजह से अब सिर्फ जागरूक महिलाएं ही अपनी बात नहीं रख रहीं, बल्कि आम महिलाएं भी अब इससे जुड़ चुकी हैं और अपने साथ हुए सेक्सुअल असॉल्ट की घटनाओं को सबके सामने निडरता से रख रही हैं.