नई दिल्ली: विदेश राज्यमंत्री एम. जे. अकबर की तरफ से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किए जाने के बाद रमानी ने कहा कि अकबर धमकी और उत्पीड़न के जरिए आवाज बंद करने की कोशिश कर रहे हैं. रमानी ने अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
वहीं एक अन्य महिला पत्रकार गजाला वहाब ने कहा, 'हां, झूठ के पांव नहीं होते' और वह बहुत दूर चल नहीं सकता. इससे एक दिन पहले अकबर ने उनके ऊपर लगाए गए यौन-उत्पीड़न के आरोपों को बेबुनियाद और निराधार बताया था और कहा था- 'झूठ के पांव नहीं होते'.
रमानी के खिलाफ 97 वकीलों की फौज
बीजेपी नेता और पूर्व पत्रकार एमजे अकबर ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट में एक निजी आपराधिक मानहानि शिकायत दायर की. विदेश राज्यमंत्री अकबर ने कहा कि रमानी ने ‘‘जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से’’ आरोप लगाए जिनकी गुप्त मंशा उनकी प्रतिष्ठा और राजनीतिक ओहदे को नुकसान पहुंचाना है. अकबर ने लॉ फर्म ‘करनजावाला एंड कंपनी’ के जरिये पटियाला हाउस जिला अदालत में याचिका दायर की है.
रमानी ने क्या कुछ कहा?
अकबर पर MeToo अभियान के जरिए यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली कई महिलाओं में शामिल प्रिया रमानी ने कहा "मैं काफी निराश हूं कि केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोपों को राजनीतिक साजिश करार देते हुए खारिज कर दिया. मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करके अकबर ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है." रमानी ने अपना बयान सोशल मीडिया पर साझा किया है.
एमजे अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली प्रिया रमानी कौन हैं? जानिए
महिला पत्रकारों का आरोप है कि द एशियन एज और अन्य प्रकाशनों के संपादक की हैसियत से अकबर ने उनका यौन-उत्पीड़न किया. रमानी ने अपने एक बयान में कहा, "मैं काफी निराश हूं कि केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोपों को राजनीतिक साजिश करार देते हुए खारिज कर दिया. मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करके अकबर ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है." रमानी ने अपना बयान सोशल मीडिया पर साझा किया है.
उन्होंने कहा, "अनेक महिलाओं द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों का सामना करने के बजाय वह (अकबर) धमकी और उत्पीड़न के माध्यम से मुंह बंद कराना चाहते हैं." रमानी ने जोर देकर कहा कि वह मानहानि के आरोपों का सामना करेंगी. उन्होंने कहा, "क्योंकि सच और पूर्ण सच ही मेरा बचाव है." उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं ने अकबर के खिलाफ खुलकर खड़े होने का साहस दिखाया है, उन्होंने अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को गंभीर खतरे में डालकर ऐसा किया है.
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उन्होंने कहा, "इस समय, यह पूछना ठीक नहीं है कि वे (पीड़ित) अब क्यों बोल रही हैं, क्योंकि हम सभी लांछन और शर्म से परिचित हैं कि यौन अपराध की सजा पीड़ित को कैसे भोगनी पड़ती है. इन महिलाओं की मंशा और इरादे को लेकर उन्हें कलंकित करने के बजाए हमें पुरुष और महिलाओं की भावी पीढ़ी के लिए कार्यस्थल को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए."
रमानी ने कहा, "इसलिए मैं श्रीमान अकबर के अत्यंत हाल में दिए गए बयान का सख्त विरोध करती हूं, जिसमें पीड़ितों के सदमे और डर या सच बोलने के लिए जरूरी साहस पर ध्यान नहीं दिया गया."