मार्च की सुहानी शाम, टकीला के नशे में झूमतीं लड़कियां और टेबल पर जासूसी करने वाले टूल पर डील
महज एक दशक के अंदर ही पेगासस दुनिया का सबसे ताकतवर जासूसी सॉफ्टवेयर बन गया है. इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल यूरोप से लेकर मध्य पूर्व तक की सरकार हजारों सेल फोन को हैक करने के लिए करने लगी.
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साल 2011 के मार्च महीने एक सुहानी शाम थी. एक रेस्त्रां में टकीला शराब के नशे में लड़कियां झूम रही थीं. टेबल पर बैठे कुछ लोगों के बीच जासूसी के सबसे बड़े टूल पर डील हो रही थी. उस जासूसी हथियार का नाम था पेगासस. इसे तकनीकी की दुनिया में स्पाइवेयर कहा जाता है. इसको लेकर हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.
महज एक दशक के अंदर ही पेगासस दुनिया का सबसे ताकतवर जासूसी सॉफ्टवेयर बन गया है. इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल यूरोप से लेकर मध्य पूर्व तक की सरकार हजारों सेल फोन को हैक करने के लिए करने लगीं और पेगासस को बनाने वाला ग्रुप हजारों करोड़ का मालिक बन गया है. पेगासस ने पिछले एक दशक में न सिर्फ भारत या मेक्सिको बल्कि दुनिया के 40 देशों को ये सॉफ्टवेयर बेचा है.
दरअसल हैक किए गए फोन के दस्तावेजों और फोरेंसिक परीक्षणों के आधार पर अमेरिका के मीडिया संस्थान न्यूयॉर्क टाइम्स की एक जांच से पता चलता है कि मैक्सिको पेगासस की डील करने वाला दुनिया का पहला देश था.
रखी जाती थी निगरानी
मैक्सिको की सरकार ने पेगासस के इस्तेमाल से देश के खिलाफ खड़े होने वाले नागरिकों पर निगरानी रखती थी. अब यहां की सरकार का दावा है कि पेगासस के इस्तेमाल को बंद कर दिया गया है. लेकिन द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार मैक्सिको ने हाल के महीनों में भी मानवाधिकारों की रक्षा करने वाले लोगों की जासूसी करने के लिए पेगासस का इस्तेमाल किया है. इसके अलावा लोकतंत्र के पैरोकारों, पत्रकारों और भ्रष्टाचार को चुनौती देने वाले अन्य नागरिकों की जासूसी की जा रही है.
पहली डील कैसे मिली
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली कंपनी एनएसओ ने स्पाइवेयर पेगासस को डेवलप तो कर लिया था लेकिन बड़ी समस्या ये थी कि इसे किसी देश को कैसे बेचा जाए. कोई भी इजरायली कंपनी पर भरोसा नहीं कर पा रहा था.
उसी वक्त मेजर जनरल एविगडोर बेन-गैल इस कंपनी के चेयरमैन बने. वह एक सम्मानित सैन्य अधिकारी थे. उन्होंने एनएसओ और इजराइली सरकार को करीब लाने में अहम किरदार निभाया.
इजरायली सरकार से हाथ मिलाने के बाद पेगासस का सफर तेजी से आगे बढ़ने लगा. सबसे पहले इस सॉफ्टवेयर को मैक्सिको की सरकार को बेचा गया. भारत में भी सरकार पर भी आरोप है कि साल 2017 में भारत ने इजरायल से ये सॉफ्टवेयर खरीदे और इसके जरिए विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और व्यवसायी की जासूसी की गई.
पहली बार ब्लैकबेरी फोन को किया गया था हैक
एनएसओ और मैक्सिको से बीच पेगासस को लेकर हुई डील के दौरान की एक मेल की कॉपी सामने आई है. यह मेल 25 मई, 2011 को इजरायली रक्षा उद्योग के एक अधिकारी एरान रेशेफ ने किया था. मेल में NSO के अध्यक्ष और इसके दो संस्थापकों को कहा गया था कि "मैक्सिको के रक्षा सचिव और राष्ट्रपति के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का डेमो अगले शुक्रवार को दिखाया जाएगा. "
इस डेमो को दिखाए जाने के दौरान वहां मौजूद दो लोगों ने बताया कि ये डील मेक्सिको सिटी के बाहरी इलाके में एक विशाल सैन्य अड्डे पर हुआ था, जहां पहली पेगासस मशीन स्थापित की गई थी.
इस डील की खबर लीक न हो जाए इस डर से मैक्सिकन सेना ने इजरायल के अधिकारियों को एक छोटे से कमरे में इंतजार कराया गया था. प्रेजेंटेशन के दौरान इस बात का भी ख्याल रखा गया था कि पेगासस के डेमो देने से पहले कोई मैक्सिन अधिकारियों को न देख सके. कमरे के दरवाजे के बाहर हथियारबंद सिपाही तैनात थे.
जब मैक्सिको के तत्कालीन राष्ट्रपति फिलिप कैल्ड्रोन और जनरल गलवान वहां पहुंचे तो वो दीवार पर लगी बड़ी स्क्रीन के सामने बैठे और उनके सामने एक फोन को हैक करके दिखाया गया.
एनएसओ ग्रुप के मुख्य टेक्नोलॉजी अधिकारी उडी डोनायास, जिन्होंने पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाले टीम का नेतृत्व किया था ने इस डेमो की पुष्टि करते हुए बताया कि जो पहला फोन हैक करके मैक्सिकन राष्ट्रपति को दिखाया गया था वह ब्लैकबेरी फोन था. उस फोन को मैक्सिकन अधिकारियों ने ही दिया था और उसे हैक करने को कहा था.
आखिर क्या है पेगासस
यह एक स्पाइवेयर या जासूसी सॉफ्टवेयर है, जिसे एक इजरायली फर्म NSO ग्रुप ने बनाया है. दरअसल स्पाइवेयर या जासूसी सॉफ्टवेयर एक ऐसा टूल है, जिसे इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि ये किसी के भी फोन या कंप्यूटर डिवाइस में पहुंच सके. ये फोन में मौजूद सारी जानकारी को इकट्ठा कर लेता है फिर इसका इस्तेमाल कोई तीसरा मनमाने तरीके से कर सकता है.
हालांकि दुनिया में और भी कई स्पाइवेयर हैं लेकिन पेगासस अब तक का सबसे शक्तिशाली जासूसी सॉफ्टवेयर माना जाता है. पेगासस का डिजाइन ही किसी भी स्मार्टफोन चाहे वह एंड्रॉयड हो या आईओएस में घुसपैठ करने और उन्हें सर्विलांस या निगरानी डिवाइसेज में बदलने के लिए किया गया है.
पेगासस क्या काम करता है?
इजराइली कंपनी ने इस जासूसी सॉफ्टवेयर को लेकर दावा किया है कि इसका इस्तेमाल किसी भी देश के अपराधियों और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए किया जाता है न कि लोगों की निगरानी के लिए. हालांकि सॉफ्टवेयर बनने के कुछ साल बाद दुनिया भर की सरकार इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करने लगी. सरकार इनकी मदद से मनचाहे लोगों की जासूसी करने का काम करने लगी.
पेगासस के बदले भारत ने की थी इजराइल की मदद?
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2017 के जुलाई महीने में इजरायल दौरे के दौरान भारत-इजरायल के बीच लगभग 15 हजार करोड़ की डिफेंस की थी. इसमें पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर भी शामिल था.
जून 2019 में पेगासस के बदले में भारत ने संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद में फिलिस्तीन के खिलाफ वोट देकर इजरायल का समर्थन किया था. ऐसा इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ था, जब भारत ने इजरायल-फिलिस्तीन विवाद में किसी एक के पक्ष में अपना मत दिया हो.
साल 2019 में भारत में कई चर्चित लोगों की जासूसी पेगासस के जरिए किए जाने का मुद्दा उठा था. हालांकि भारत सरकार ऐसे किसी भी आरोप से साफ तौर पर इनकार करती रही हैं. रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया है कि पेगासस के इस्तेमाल से भारत के पत्रकारों, कई बड़े नेताओं, मंत्रियों, एक जज से लेकर बिजनेसमैन और सामाजिक कार्यकर्ताओं तक के फोन की जासूसी की गई थी.
एनएसओ ग्रुप का इनकार
उस वक्त व्हॉट्सऐप ने एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा भी दायर किया था और आरोप लगाया था कि उनके यूजर्स के 1400 मोबाइल फोन्स पर पेगासस स्पाईवेयर के जरिए साइबर हमला किया गया है.
हालांकि फोन का डेटा कहां से लीक किया गया ये बात साफ़ नहीं हो सकी. साथ ही हैकिंग के लिए किसने आदेश दिया था और वास्तव में कितने मोबाइल फ़ोन हैकिंग का शिकार हो पाए इसका भी पता नहीं चल सका.
वहीं भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भी किसी किस्म की अनधिकृत निगरानी के आरोपों से इनकार कर दिया था.
इन देशों को बेचा गया पेगासस
- आर्मेनिया
- अजरबैजान
- बहरीन
- फिनलैंड
- हंगरी
- भारत
- इजरायल
- जॉर्डन
- कजाखस्तान
- मैक्सिको
- फिलिस्तीन
अरबों में होती है सरकार से डील
रिपोर्ट्स के अनुसार इजरायली कंपनी दुनिया की कई सरकारों को पेगासस सॉफ्टवेयर बेच चुकी है. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार पेगासस सॉफ्टवेयर एक सिंगल लाइसेंस के लिए 70 लाख रुपए लेता है.
एनएसओ ग्रुप अपने उपयोगकर्ता और पेगासस के माध्यम से 10 डिवाइसेज में जासूसी करने के लिए लगभग 5 से 9 करोड़ रुपए की कीमत लेता है. इसके अलावा इंस्टॉलेशन के लिए भी लगभग 4-5 करोड़ रुपए चार्ज करता है.
सॉफ्टवेयर फोन में कैसे करता है जासूसी
पेगासस किसी भी फोन में होने वाले बग को अपना निशाना बनाता है. इसका मतलब है कि आपका फोन एंड्रॉएड हो, आईओएस हो लेटेस्ट सिक्योरिटी से लैस हो, तब भी यह स्पाइवेयर इसमें सेंध लगा सकता है. इस सॉफ्टवेयर की खासियत ये है कि पेगासस को किसी भी फोन या डिवाइस में दूर बैठकर भी इंस्टॉल किया जा सकता है. इसके लिए आपको उस डिवाइस में कुछ इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं होगी.
साल 2016 तक जो पेगासस का वर्जन था उसमें किसी भी फोन या डिवाइस में टेक्स्ट मैसेज या लिंक भेजा जाता था. एक बार यूजर उस लिंक पर क्लिक कर ले तो फोन में सेंध लगाई जा सकती थी.
साल 2019 तक इस सॉफ्टवेयर को अपग्रेडेट किया गया और एक और वर्जन आया. इस नए अपडेटेड सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के लिए फोन या किसी लिंक की भी जरूरत नहीं पड़ती.
पेगासस सॉफ्टवेयर कई बार सिर्फ एक वॉट्सऐप मिस्ड कॉल के माध्यम से भी किसी डिवाइस में एंट्री कर सकता है. डिवाइन में पहुंच जाने के बाद उस मिस्ड कॉल को भी डिलीट कर देता है, ताकि यूजर को पता न चल पाए की उसका फोन हैक किया जा चुका है.
फोन में घुसने के बाद क्या करता है पेगासस?
एक बार यह सॉफ्टवेयर फोन तक पहुंच जाए उसके बाद यह फोन में मौजूद लगभग सभी जानकारी चुरा लेता है. इन जानकारियों में मैसेज, कॉन्टैक्ट नंबर, कॉल हिस्ट्री, कैलेंडर, ईमेल, ब्राउजिंग हिस्ट्री शामिल होती है. पेगासस आपके फोन के माइक्रोफोन की मदद से कॉल रिकॉर्ड या किसी की बातचीत को रिकॉर्ड कर लेता है. पेगासस फोन के कैमरे के जरिए चुपके से आपकी वीडियो बना सकता है. और जीपीएस की मदद से फोन चलाने वाले का लोकेशन ट्रैक कर सकता है.
भारत में पेगासस को लेकर नेताओं- पत्रकारों ने क्या कहा
राहुल गांधी: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पेगासस मामले पर कई बार केंद्र सरकार को घेरा है. उन्होंने कई बार मोदी सरकार पर प्राथमिक संस्थाओं, राजनीतिक शख्सियतों और जनता की जासूसी करने का आरोप भी लगाए हैं. उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए लिखा था, "मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राजनेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था. फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है. ये देशद्रोह है. मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है."
महुआ मोइत्रा: तृणमूल कांग्रेस पार्टी की नेता महुआ मोइत्रा ने भी मोदी सरकार पर जासूसी के आरोप लगाए हैं. उन्होंने भी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए मोदी सरकार पर कई बार हमला बोला है.
पी चिदंबरम: कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने पीएम मोदी और इजरायल के संबंधों को लेकर सवाल उठाए थे. उन्होंने पीएम मोदी के ट्वीट को लेते हुए तंज कसते हुए कहा था, ''प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-इजरायल संबंधों में नए लक्ष्य स्थापित करने के लिए ये सबसे अच्छा समय है. बिल्कुल, ये सबसे अच्छा समय है इजराइल से पूछने के लिए कि उनके पास पेगासस स्पाइवेयर का एडवांस वर्जन है क्या.''
रणदीप सुरजेवाला: कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला भी पेगासस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोल चुके हैं. उन्होंने कहा था, ''पेगासस की खरीद को लेकर कांग्रेस प्रधानमंत्री और सरकार से संसद में जवाबदेही मांगेगी. हम जनता की अदालत में जवाबदेही मांगेंगे. हम सुप्रीम कोर्ट से भी झूठ पर ध्यान देने का आग्रह करते हैं. यह 'देशद्रोह' है!''
प्रियंका चतुर्वेदी: शिवसेना सांसद प्रियंका ने अपने एक ट्वीट में कहा था, ''भारतीय करदाताओं का पैसा जासूसी और निगरानी में इस्तेमाल किया जाता है. देश के ही लोगों की निगरानी के लिए मेहनत से कमाया गया पैसा देश को बड़े बिग बॉस स्टूडियो में तब्दील करने पर इस्तेमाल हो रहा है. इस तकनीक का इस्तेमाल पड़ोसी देशों को अपने जमीन कब्जा करने से रोकने के लिए किया जा सकता था.''
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