नई दिल्ली: केंद्रीय गृह सचिव ने कोरोना वायरस के मद्देनजर किए गए 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि लॉकडान के दौरान लोगों के अनावश्यक पलायन से रोकने के लिए प्रवासी कृषि श्रमिकों, औद्योगिक कामगारों और असंगठित क्षेत्र के अन्य कामगारों को भोजन और आश्रय सहित पर्याप्त सहायता प्रदान करने हेतु तत्काल कदम उठाया जाएं.
पत्र मे यह सलाह दी गई है कि दूसरे राज्यों के विद्यार्थियों, कामकाजी महिलाओं और अन्य को अपने मौजूदा आवास में ही बने रहना सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाएं. एडवाइजरी में कहा गया है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों, विशेषकर विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों की मुश्किलें कम करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गैर सरकारी संगठनों सहित विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से उन्हें स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ भोजन और आश्रय भी प्रदान करने के उपाय करने चाहिए.
इसके अलावा, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सलाह भी दी गई है कि वे इन असुरक्षित वर्गों या लोगों को सरकार द्वारा किए गए विभिन्न ठोस उपायों से अवगत कराएं जिनमें पीडीएस के माध्यम से खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुएं मुफ्त में मुहैया कराना भी शामिल है. इसके साथ ही वितरण प्रणाली को सुव्यवस्थित बनाने की भी सलाह दी गई है. एडवाइजरी के अनुसार, इससे इन लोगों की अनावश्यक आवाजाही को रोकने में मदद मिलेगी.
गृह मंत्रालय ने यह भी सलाह दी है कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि होटल, किराये पर दिए गए कमरे, छात्रावास आदि निरंतर चालू अवस्था में रहें और आवश्यक वस्तुओं की डिलीवरी भी सुव्यवस्थित रहे ताकि छात्र-छात्राएं,कामकाजी महिलाएं, छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थी इत्यादि आवश्यक सावधानियां बरतते हुए अपने-अपने वर्तमान कमरों और घरों में ही आगे भी रह सकें.
आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बार-बार यह निर्देश दिया जा रहा है कि वे लॉकडाउन को सख्ती से लागू करें और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ विभिन्न कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई करें. यह कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए अत्यंत आवश्यक है.