नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने उस फैसले पर सफाई दी है, जिसमें मंत्रालय ने देश की 10 जांच एजेंसियों को भारत के हर कंप्यूटर तक पहुंचने का अधिकार दिया था. गृह मंत्रालय ने अब अपने नए आदेश में कहा है कि कंप्यूटर जांच के लिए अभी भी गृह मंत्रालय की मंजूरी लेनी होगी. जासूसी की इजाजत देने वाले केंद्र सरकार के फैसले पर विरोधियों ने सवाल उठाए थे.


दरअसल केंद्र सरकार ने आईटी एक्ट का इस्तेमाल करते हुए जासूसी की इजाजत दी थी. फैसले में गृह मंत्रालय ने कहा था कि देश की 10 जांच एजेंसियों की भारत के हर कंप्यूटर तक पहुंच होगी. गृह मंत्रालय के इस फैसले के विरोध में कहा गया कि इसके तहत एक ऐसा देश तैयार किए जाने की कोशिश की जा रही है जिसमें सबके ऊपर निगरानी हो.


क्या था गृह मंत्रालय का फैसला?


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आईबी और दिल्ली पुलिस कमिश्नर समेत कुल 10 एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर को इंटरसेप्ट करने का अधिकार दिया है. इसमें कंप्यूटर आधारित कॉल और फोन का डेटा भी शामिल है. गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक, देश की 10 सुरक्षा एजेंसियां किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर में जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव और स्टोर किए गए किसी दस्तावेज को देख सकती हैं.


यह 10 एजेंसियां खुफिया ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, कैबिनेट सचिव (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटिलिजेंस (केवल जम्मू एवं कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम के सेवा क्षेत्रों के लिए) और दिल्ली पुलिस आयुक्त हैं.


सरकार के फैसले पर विपक्ष ने जताया था एतराज


सरकार की ओर से इस आदेश को जारी करने के बाद कांग्रस और अन्य पार्टियों ने कड़ा एतराज जताया था. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, "इस बार, निजता पर हमला." सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, "मोदी सरकार खुले आम निजता के अधिकार का हनन कर रही है और मजाक उड़ा रही है. चुनाव में हारने के बाद, अब सरकार कंप्यूटरों की ताका-झाकी करना चाहती है? एनडीए के डीएनए में बिग ब्रदर का सिंड्रोम सच में समाहित है."

कांग्रेस के अन्य नेता अहमद पटेल ने ट्वीट कर कहा, "इलेक्ट्रॉनिक निगरानी को सीधे मंजूरी देना नागरिकों के अधिकारों और निजी स्वतंत्रता पर सीधा हमला है." एआईएमआईएम के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन औवैसी ने कहा, "मोदी ने हमारे संचार पर केंद्रीय एजेंसियों द्वारा निगरानी रखने के लिए एक साधारण सरकारी आदेश का प्रयोग किया है. कौन जानता था कि जब वे 'घर घर मोदी' कहते थे तो इसका यह मतलब था."

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