भरूच: कोरोना वायरस महामारी को नियंत्रण में करने के लिए लागू बंद की वजह से गुजरात के भरूच जिले में फंसे 150 प्रवासी श्रमिकों के एक समूह ने औद्योगिक क्षेत्र में पुलिस पर पथराव किया. ये श्रमिक अपने घर जाने को बेसब्र हैं. रूच जिला पुलिस अधीक्षक राजेंद्र सिंह चूड़ास्मा ने कहा कि कोविड-19 बंद के बीच घर भेजे जाने की मांग कर रहे श्रमिकों की भीड़ क्षेत्र में जमा हो गई थी जिसे हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के दो गोले दागे. उन्होंने कहा कि कोविड-19 बंद की वजह से जिले में फंसे प्रवासी श्रमिकों ने विशेष श्रमिक ट्रेनों से घर भेजे जाने की मांग को लेकर पिछले 2 दिन में कई प्रदर्शन किए.




चूड़ास्मा ने कहा, ‘‘यहां तक कि इनमें से कुछ सड़क पर जमा हुए थे लेकिन जब मैंने उनसे व्यक्तिगत रूप से धैर्य बनाए रखने की अपील की तो वह वापस चले गए. इनका ऑनलाइन पंजीकरण भी हो चुका है और सिर्फ अधिकारियों की ओर से पुष्टि करना बचा है.’’ उन्होंने बताया कि हालांकि शुक्रवार को फिर से उसी मांग के साथ 150 लोगों की भीड़ सड़क पर जमा हो गई और पुलिस वाहनों पर पत्थरबाजी की. भीड़ को हटाने के लिए आंसू गैस के दो गोले दागने पड़े.


इसी बीच बिहार के करीब 400 श्रमिकों ने गृह राज्य भेजे जाने की मांग के साथ बोटाद में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया. स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस ने बाजार में इन प्रदर्शनकारियों को रोका और उन्हें यात्रा संबंधी पुष्टि का इतंजार करने के लिए समझाया. बोटाद के जिला कलेक्टर विशाल गुप्ता ने दावा किया कि इन श्रमिकों को गृह राज्य भेजने संबंधी मंजूरी बिहार सरकार के पास 10 मई से ही लंबित है, जिसकी वजह से ये श्रमिक यहां फंसे हुए हैं.


उन्होंने कहा, ‘‘जिला प्रशासन ने श्रमिकों को भेजने की पूरी व्यवस्था कर ली है. हमने इनके स्वास्थ्य की जांच भी कर ली और रेलवे स्टेशन तक इन्हें पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था भी कर चुके हैं लेकिन बिहार सरकार की तरफ से ट्रेन के लिए मंजूरी मिलने में विलंब हो रहा है.’’


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