Milind Deora Resign: राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू होने के ठीक पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा ने इस्तीफा दे दिया है. इस बात की जानकारी उन्होंने रविवार (14 जनवरी) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखकर दी. वह शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) में शामिल हुए.
कांग्रेस के पूर्व नेता ने अपनी पोस्ट में कहा, "आज मेरी राजनीतिक यात्रा का एक अहम अध्याय खत्म हुआ. मैंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. पार्टी के साथ मेरे परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता खत्म हुआ. मैं कांग्रेस के साथ सालों पुराने अटूट समर्थन के लिए सभी नेताओं, सहकर्मियों और कार्यकर्ताओं का आभारी हूं."
इंडिया गठबंधन नाराजगी की वजह
मिलिंद देवड़ा के पिता मुलरी देवड़ा भी कांग्रेस के नेता रहे हैं. उन्हें हाल ही में संयुक्त कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन इसके कुछ दिनों बाद ही उन्होंने ये इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया. सियासी जानकारों का कहना है कि मिलिंद देवड़ा के कांग्रेस छोड़ने की वजह इंडिया गठबंधन है.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी और उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना दक्षिण मुंबई सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में अगर दक्षिण मुंबई सीट पर कांग्रेस से हाथ नहीं लगती है तो मिलिंद देवड़ा को किसी अन्य सीट की तलाश करनी होगी. फिलहाल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अरविंद सावंत दक्षिण मुंबई से सांसद हैं.
मिलिंद देवड़ा जाने से क्या होगा कांग्रेस पर असर?
मिलिंद देवड़ा के कांग्रेस छोड़ने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या उनके इस कदम से पार्टी पर प्रभाव पड़ सकता है. इस समय कांग्रेस इंडिया अलायंस में शामिल अन्य दलों के साथ सीट-बंटवारे की योजना पर चर्चा कर रही है. कांग्रेस को आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस जैसी दलों से ज्यादा-ज्यादा हासिल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा. ऐसे में मिलिंद का पार्टी से अलग होना महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) के साथ सीट शेयरिंग में कांग्रेस की स्थिति को कमजोर कर सकता है.
इसके अलावा पार्टी राजस्थान में सचिन पायलट के विद्रोह जैसी शर्मनाक स्थितियों से बचने की कोशिश कर रही है. ऐसे में मिलिंद के पार्टी से अलग होने के बाद कांग्रेस नहीं चाहेगी कि महाराष्ट्र में राजस्थान जैसे स्थिति बने. मिलिंद देवड़ा राज्य में कांग्रेस की रणनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं.
उनके जाने से यहां न सिर्फ कांग्रेस की स्थिति कमजोर होगी, बल्कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट मजबूत होगा और शिंदे गुट को एक अनुभवी राजनेता मिलेगा. इतना ही नहीं मिलिंद के रूप में कांग्रेस ने एक ऐसा नेता खोया है, जो अपने चुनावी ट्रैक रिकॉर्ड के हिसाब से 2024 में एक संभावित सांसद हो सकते थे.
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