DGP दिलबाग सिंह बोले- घाटी में दहशत फैलाने के लिए आतंकी कर रहे आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
जम्मू कश्मीर में आतंकवादी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर आतंक फैलाने की कोशिश में लगे हुए हैंइसका खुलासा जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने किया है
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद यहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आतंक फैलाने में कर रही है. इस बात का खुलासा जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने किया है. उन्होंने कहा कि नगरोटा मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के कब्जे से पकड़े गए सामान में जहां आधुनिक M4 राइफल मिली तो वहीं सरहद पार अपने आकाओ से बातचीत करने के लिए इनके पास से थुराया सेटेलाइट फोन और ICOM सेट भी मिले हैं.
ICOM सेट बातचीत के लिए एक एप की मदद से बिना SIM कार्ड या satellite सिग्नल के बिना काम करता है और लोकल मोबाइल नेटवर्क के ज़रिए किसी भी जगह और किसी भी फ़ोन से सम्पर्क साध सकता है. पुलिस के अनुसार इसी टेक्नोलॉजी की मदद से आतंकी कश्मीर घाटी में जारी इंटरनेट बैन का तोड़ निकाल रहे हैं.
वीपीएन के जरिए सोशल मीडिया यूज कर रहे आतंकी
यहां जवानों के लिए चिंता की बात ये है कि इस टेक्नोलॉजी के जरिए होने वाले सम्पर्क को ट्रैक करना मुश्किल है. पुलिस के अनुसार 24 जनवरी से कश्मीर घाटी में 2जी इंटरनेट सेवाएं शुरू होने के बाद से आतंकी संगठन एक बार फिर से Whatsapp और Telegram का इस्तेमाल करने लगे है. सुरक्षा एजेंसी के सोशल मीडिया प्रतिबंध के बावजूद भी आतंकी वीपीएन के ज़रिए इसका प्रयोग कर रहे हैं.
डीजीपी के अनुसार नगरोटा हमले के दौरान मुठभेड़ शुरू होते ही एक आतंकी ने VPN के ज़रिए मुठभेड़ की फ़ोटो पाकिस्तान में बेठे आपने हैंड्लर को भेज दी. इससे यह साबित हो जाता हैं कि किस तरह आतंकी सोशल मीडिया का भी प्रयाग कर रहे है.
सर्विस प्रोवाइडर सोशल मीडिया के इस्तेमाल को रोकने में विफल
कश्मीर में बड़ी संख्या में आम लोग भी VPN की मदद से सोशल मीडिया और अन्य प्रतिबंधित वेबसाइट का इस्तेमाल कर रहे है. पुलिस के अनुसार यह चिंता की बात है क्योंकि तमाम प्रयासों के बावजूद इंटरनेट सर्विस प्रवाइडर सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं. इसी वजह से सरकारी मंजूरी के बावजूद भी कश्मीर घाटी में ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू नहीं की जा सकी हैं. बता दें कि सरकार ने 24 जनवरी से मोबाइल और ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी इसके शुरू होने पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है.
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