नई दिल्ली: महाराष्ट्र में साझा सरकार के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार है. शिव सेना के सूत्रों के मुताबिक न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शिवसेना कट्टर हिंदुत्व का त्याग करेगी और कॉन्ग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण का त्याग करेगी. न्यूनतम साझा कार्यक्रम में कॉमन एजेंडा नाम के हिस्से में वैचारिक मतभेद को पाटने के लिए तीनो दल वैचारिक प्रतिबद्धता का त्याग करेगी या उससे पीछे हटेंगे.


महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की साझा सरकार के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार हो गया है. इस कार्यक्रम को सरकार संचालन के लिए मुख्य रूप से तीन अहम हिस्सो में बाटा गया है. लेकिन कॉमन एजेंडा में जो सबसे प्रमुख मुद्दा उभर कर सामने आ रहा है, वह है कि साझा सरकार में सम्मिलित सभी दल अपनी अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता का त्याग करेंगे. या उससे पीछे हटेंगे. महाराष्ट्र में सरकार गैर बीजेपी वाद को बढ़ावा देने के लिये बनाई जा रही है इसका भी जिक्र हो सकता है.


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न्यूनतम साझा कार्यक्रम के जिस मसौदे पर अभी तक सहमति बन पाई है, उसमें शिवसेना, कट्टर हिंदुत्व की वैचारिक प्रतिबद्धता का त्याग करेगी यानी शिवसेना वीर सावरकर का नाम लेने से बचेगी. वह वीर सावरकर के लिए भारत रत्न देने जैसी मांगों से भी अपने आपको दूर रखेगी. शिवसेना सरकार संचालन के दौरान ऐसी नीतियों का पालन करेगी जो हिंदुत्व की बात नहीं करेगी. यानी शिवजी महाराज की का नाम तो शिवसेना लेगी लेकिन वीर सावरकर के नाम से परहेज़ करेगी.


कांग्रेस और एनसीपी भी अपनी-अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता का महाराष्ट्र में त्याग करेगी. जिस तरह शिवसेना वीर सावरकर के नाम से परहेज करेगी और उनकी कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा से खुद को दूर करेगी ठीक उसी तरह कांग्रेस और एनसीपी महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का नाम लेने से परहेज करेंगे. यानी अब महात्मा गांधी की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे को जिम्मेदार ठहराने वाले भाषण नहीं होंगे. यानी एनसीपी और कांग्रेस सरकार संचालन के दौरान ऐसी नीतियों का पालन करेंगे जो मुस्लिम तुष्टीकरण ना करती हो. यानी दोनों दल अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण करने वाले बयान, भाषण और नीतियों का पालन नहीं करेंगे बल्कि ऐसी नीतियों एयर बयानों से परहेज़ करेगे.


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शिवसेना जो वीर सावरकर को हिंदू राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का झंडाबरदार मानती थी, वह वीर सावरकर का नाम नहीं लेगी वहीं कांग्रेस और एनसीपी के नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार मानते हैं वे अब नाथूराम गोडसे का नाम नहीं लेंगे.


एनसीपी, कांग्रेस में शिवसेना का न्यूनतम साझा कार्यक्रम का जो मसौदा तैयार हुआ है. इसके मसौदे पर सोमवार को सोनिया गांधी और शरद पवार की एक प्रस्तावित बैठक में मुहर लगेगी. लेकिन अभी देखना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है कि तीनों दल अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता या विचारधारा और अपने महापुरुषों और तारीख विरोधियों या यूं कहें कि गांधी के हत्यारो का नाम लेने से कब तक परहेज़ कर पाएंगे.