नई दिल्ली: देश में रेल दुर्घटनाओं में किसी की मौत अब एक सामान्य सी खबर हो गई है. रेल में सफर करने वालों की सुरक्षित यात्रा की उम्मीद कम हो गई है. रेल हादसों को लोगों ने अब अपनी नियति जैसा मान लिया है. आज सुबह भी उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के पास रेल हादसा हुआ. सुबह करीब सवा चार बजे पटना जा रही वास्को डि गामा एक्स्प्रेस के तेरह डिब्बे पटरी से उतर गए.
इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई और दस लोग घायल हो गए. जिन तीन लोगों की मौत हुई है उसमें बिहार के बेतिया के रहने वाले पिता और पुत्र शामिल हैं, तीसरे की पहचान नहीं हुई है. इन हादसों के बीच सवाल बना हुआ है कि आखिर हादसों की इस रेल पर ब्रेक कब लगेगी?
- रेल हादसों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो एक जनवरी 2017 से 24 नवम्बर 2017 के बीच कुल 35 रेल हादसे हुए जिनमें 82 लोगों की मौत हुई. इस साल दो बड़े रेल हादसे हुए जिसमें करीब 61 लोगों की मौत हो गई. पहला बड़ा हादसा 22 जनवरी को आंध्रप्रदेश के विजयनगरम जिले में हीराखंड एक्सप्रेस के आठ डिब्बे पटरी से उतर गए. इस हादसे में 39 लोगों की जान गई.
- साल का दूसरा बड़ा हादसा 19 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुआ. उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई, इस हादसे में 22 लोगों की मौत हो गई और 156 से ज्यादा लोग घायल हो गए. मोदी सरकार बनने के बाद अब तक कुल मिलाकर 367 छोटे बड़े हादसे हो चुके हैं. सुरेश प्रभू को रेल हादसों की वजह से ही मंत्रालय से हाथ धोना पड़ा.
- सुरेश प्रभु के जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने काबिल मंत्री पीयूष गोयल को रेलवे का सारथी बनाया. लेकिन मंत्री बदलने से हालात नहीं बदले. पीयूष गोयल ने 3 सितम्बर को रेल मंत्रालय का कामकाज संभाला. पीयूष गोयल के रेल मंत्री बनने के बाद चार बड़े रेल हादसे हुए. सात सितंबर को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में शक्तिपुंज एक्सप्रेस के 7 डिब्बे पटरी से उतर गए हैं. ट्रेन हावड़ा से जबलपुर जा रही थी.
इस दुर्घटना के कुछ घंटे बाद ही राजधानी दिल्ली मिंटो ब्रिज के पास रांची-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई. इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई. इस दुर्घटना के बाद उसी दिन महाराष्ट्र के खंडाला में एक मालगाड़ी की दो बोगी पटरी से उतर गई. इसके बाद आज एक फिर रेल हादसे का शिकार हुई है, वास्को डि गामा एक्स्प्रेस के तेरह डिब्बे पटरी से उतर गए.