Ram Mandir: अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर आज हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा है कि यह देश के हिन्दुओं के लिए सबसे बुरा दिन है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट आतंकवादियों के लिए मध्य रात्रि में कोर्ट बैठा देती है, लेकिन इस मामले में जो भारत के तमाम हिन्दुओं के आस्था का केन्द्र प्रभु राम से जुड़ा हुआ है उसपे सुप्रीम कोर्ट का यह व्यवहार हिन्दुओं को निराश करने वाला है.
बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने आगे की सुनवाई 10 जनवरी तक के लिए टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई में कहा कि तीन जजों की पीठ अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई 10 जनवरी से करेगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एस के कौल की पीठ (बेंच) ने कहा, ‘‘एक उपयुक्त पीठ मामले की सुनवाई की तारीख तय करने के लिए 10 जनवरी को आगे के आदेश देगी.’
वहीं, आज सुनवाई में यह नहीं बताया गया है कि तीन जजों के बेंच में कौन-कौन जज होंगे. मामले की सुनवाई आज 10 सेकेंड से भी कम चली. सुनवाई में अलग-अलग पक्षों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश साल्वे और राजीव धवन को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला. आज इस मामले में दो जजों की बेंच ने सुनवाई की.
वहीं, राम मंदिर मुद्दे पर बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह सुनवाई से पहले कहा था कि एक बाबर के आने से 100 करोड़ हिन्दुओ को हिन्दुस्तान में राम मंदिर के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि कल जनसंख्या वृद्धि होने के कारण देश में राम मंदिर को तो छोड़िए, राम का नाम भी लेना मुश्किल हो जाएगा.
अयोध्या का मामला पिछले आठ सालों से कोर्ट में लंबित है. 30 सितंबर 2010 को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आया था. हाईकोर्ट ने विवादित जगह पर मस्ज़िद से पहले हिन्दू मंदिर होने की बात मानी थी. लेकिन ज़मीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बांटने का आदेश दे दिया था. इसके खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.
सरकार जल्द सुनवाई के पक्ष में है. केंद्रीय मंत्री कई बार कह चुके हैं कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त करेगी कि वह जल्द से जल्द इसपर सुनवाई करे. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राम मंदिर पर सुनवाई काफी अहम माना जा रहा है. मामले में हो रही देरी को देखते हुए आरएसएस, शिवसेना, वीएचपी और संत समाज के एक वर्ग ने कानून लाने की मांग की है. हालांकि सरकार का कहना है कि हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का इंतजार करना चाहिए.
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