मुंबई: पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर और हाई प्रोफाइल पुलिस कर्मी रह चुके राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा 'लेट मी से ईट नाउ’ में कई खुलासे किए हैं. किताब में उन्होंने दावा किया है कि कांग्रेस-एनसीपी सरकार के मंत्री किस तरह दखलंदाजी करते थे और केस प्रभावित करते थे. राकेश मारिया ने एनसीपी नेता छगन भुजबल पर आरोप लगाया है, जो मौजूदा उद्धव ठाकरे सरकार में भी मंत्री हैं.


अपनी किताब 'लेट मी से ईट नाऊ' में राकेश मारिया ने कांग्रेस-एनसीपी सरकार के 1999 से 2004 के बीच मंत्रियों के कामकाज पर गंभीर आरोप लगाए हैं. राकेश मारिया ने दिवंगत मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की सरकार में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री एनसीपी नेता छगन भुजबल पर पुलिस जांच में दखलंदाजी का आरोप लगाया है.


मारिया की किताब के मुताबिक, दिसंबर 1999 में एक मामले में उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल के मन मुताबिक पुलिसिया कार्रवाई ना होने की वजह से तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने राकेश मारिया का ट्रांसफर कर दिया था.


दरअसल 1999 में राकेश मारिया मुंबई नॉर्थ-वेस्ट रीजन के एडिशनल कमिश्नर थे. बांद्रा के रेस्टोरेंट में कुछ रसूखदार लोगों ने होटल स्टाफ के साथ इसलिए मारपीट की थी, क्यूंकि उनसे बिल भरने के लिए कहा गया था. मामले की शिकायत दर्ज होने पर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने राकेश मारिया को फोन कर इशारा दिया था कि आरोपियों के खिलाफ शिकायत झूठी है. इसलिए शिकायत को ज्यादा अहमियत ना दी जाए. इसके बावजूद राकेश मारिया के निर्देश पर पुलिस ने शिकायत दर्ज कर कथित रसूखदारों को गिरफ्तार कर लिया था. यह वाकया नवंबर 1999 महीने का है.


इसी कार्रवाई का खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ा और उन्हें दिसंबर 1999 में रेलवे कमिश्नर पद पर ट्रांसफर कर दिया गया. ये एक ऐसी पोस्टिंग थी, जिसे डिमोशन माना जाता था.


नियम के मुताबिक उन्हें नॉर्थ वेस्ट रीजन में कम से कम दो साल की सेवा देनी थी, लेकिन मात्र 13 महीनों में ही उनका तबादला कर दिया गया था.