नई दिल्ली: लोकसभा में आज भी पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठा. कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस, JDU सहित कई दलों के सदस्यों ने प्रश्नकाल के दौरान पेट्रोलियम पदार्थो की बढ़ती हुई कीमतों पर सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की. सांसदों ने पूछा कि कीमतों को कम करने की दिशा में क्या कदम उठाये गए हैं और क्या सरकार का विचार पेट्रोलियम उत्पादों को माल और सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का है.


निचले सदन में सदस्यों के पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पेट्रोल, डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों पर कुछ कर राज्य लगाते हैं और कुछ केंद्र लगाते हैं. ऐसे में राज्य सरकार भी इन पर कर कम करें और हम (केंद्र) भी ऐसा करें, दोनों इस बारे में विचार करें.


ठाकुर ने कहा, ‘‘ जहां तक पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का सवाल है, इस विषय को जीएसटी की शुरूआत के समय खुला रखा गया था. इसमें कहा गया था कि जीएसटी परिषद में राज्य और केंद्र मिलकर तय कर सकते हैं कि इसे कब इसके दायरे में लाना है.’’


वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मिथुन रेड्डी ने इस पर कहा कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें स्थिर रहने के बाद भी पेट्रोल, डीजल की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सीधा सवाल था कि सरकार कीमतों को कम करने के लिये क्या कदम उठा रही है और क्या इसे जीएसटी के दायरे में लाया जायेगा?’’


कांग्रेस के के. मुरलीधरन ने भी पेट्रोल, डीजल की कीमतों में वृद्धि से सरकार को काफी राजस्व होने की बात कही और पूछा कि सरकार बताये कि क्या पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने से कीमतें कम होंगी?


सरकार की सहयोगी जदयू के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि जब जीएसटी लाया गया था तब अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कर ढांचा था, इसलिये ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की व्यवस्था के तौर पर जीएसटी लाया गया था.


उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में पेट्रोलियम उत्पादों पर अलग-अलग कर लगाया जा रहा है. सिंह ने मंत्री से कहा, ‘‘आप बात को गोल-गोल घुमाने के बजाए यह बतायें कि वित्त मंत्रालय जीएसटी परिषद में यह प्रस्ताव कब ले जायेगा.’’


शिवसेना, बसपा और कुछ अन्य दलों के सदस्यों को भी प्रश्न पूछने वाले सांसदों के समर्थन में कुछ कहते देखा गया. इस पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मार्च 2020 में कच्चे तेल की कीमत 19 डॉलर प्रति बैरल थी और अभी यह करीब 65 डॉलर प्रति बैरल है.


पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के संबंध में उन्होंने कहा कि अभी तक कोई राज्य ऐसा प्रस्ताव लेकर नहीं आया है. उन्होंने कहा, ‘‘ अगर राज्य समझते हैं कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए, तब केंद्र को इस पर चर्चा करने में कोई आपत्ति नहीं है.’’


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