नई दिल्लीः देशभर में कोरोना वैक्सीनेशन का काम 16 जनवरी से शुरू कर दिया गया है. इसके अन्तर्गत भारत बायोटेक की कोवाक्सिन और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड को लगाया जा रहा है. फिलहाल कोरोना वैक्सीन को लेकर संकोच और CoWIN पोर्टल पर कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण शुरुआती फेज में निर्धारित किए गए लक्ष्य की तुलना में कम लोगों ने टीकाकरण सत्र में भाग लिया है. इसकी सूचना सरकार ने शुक्रवार को संसद में दी.


वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में संशय


स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने लोकसभा को बताया कि 'रोलआउट के तहत टीकाकरण के बाद 31 जनवरी तक कुल 7,580 प्रतिकूल घटनाओं की सूचना मिली है. फिलहाल वर्तमान साक्ष्य के अनुसार कोरोना वैक्सीन लगाए जाने के बाद हुई 12 लोगों की मौत का कारण कोरोना टीकाकरण को नहीं माना गया है.' अश्विनी चौबे का कहना है कि मामलों में कमी आने पर सरकार की ओर से टीकाकरण को आगे बढ़ाने के आग्रह किया गया है.


संक्रमण को रोकने के लिए हो रहा प्रयास


अश्विनी चौबे का कहना है कि 'दूसरे देशों में कोरोना महामारी का दूसरा और तीसरा फेज देखने को मिला है, जो काफी खतरनाक हो सकता है. इसलिए कोरोना वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण के मामलों में आई कमी को देखते हुए यह अंदाजा लगाना सही नहीं होगा की आने वाले समय में इसमें कमी ही देखी जाए.'


अश्विनी चौबे ने एक लिखित जवाब में कहा, 'कोरोना संक्रमण को पूरी सरह से खत्म करने के लिए कमजोर और जोखिम वाली आबादी को जल्द से जल्द वैक्सीन लगाकर इस पर काबू पाया जाए. यदि किसी व्यक्ति को कोई एलर्जी, बुखार, ब्लीडिंग डिसऑर्डर और खून के पतला होने की शिकायत है तो उसे भारत बायोटेक की कोवाक्सिन को नहीं लेना चाहिए.'


वहीं सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड को लेकर उनका कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को इस टीके की पिछली खुराक के बाद गंभीर एलर्जी की शिकायत देखने को मिली तो वह इसे दोबारा नहीं लगवाए.


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