भारत के सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा रूस से खरीदे जाने वाले कच्चे तेल के लिए रुपये में भुगतान करने की कोई योजना नहीं है. संसद को सोमवार को यह जानकारी दी गई. भारत अपने कुल तेल आयात का एक प्रतिशत से भी कम रूस से खरीदता है. लेकिन यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों ने तेल और गैस की खरीद के लिए रुपये में व्यापार का रास्ता मुहैया कराया है.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘‘मौजूदा समय में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का न तो कोई अनुबंध है और न ही रूस या किसी अन्य देश से भारतीय रुपये में कच्चे तेल की खरीद करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन है.’’ उन्होंने इसके बारे विस्तार से जानकारी नहीं दी है.
सूत्रों ने कहा कि रूस के साथ व्यापार डॉलर में तय किया जा रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय भुगतान तंत्र को अब तक पश्चिमी प्रतिबंधों के दायरे से बाहर रखा गया है. इसके अलावा अमेरिका द्वारा ईरान पर उसके विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों के विपरीत रूस के साथ तेल और ऊर्जा व्यापार पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.
इसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि कोई भी देश या कंपनी रूस से तेल और अन्य ऊर्जा संसाधन खरीदने और व्यापार को निपटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं. ईरान के मामले में ऐसा नहीं था, जिसे अंतरराष्ट्रीय धन और सुरक्षा हस्तांतरण प्रणाली, ‘स्विफ्ट’ से ‘काट’ दिया गया था. साथ ही ईरान से तेल का निवेश करने या खरीदने वाली कंपनियों या संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
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