Pegasus Issue: पेगासस जासूसी कांड में पहली बार सरकार ने आधिकारिक तौर से संसद में बयान देकर साफ किया है कि इस ऐप को बनाने वाली कंपनी एनएसओ से कोई लेन-देन नहीं किया है. हालांकि, ये बयान सिर्फ रक्षा मंत्रालय की तरफ से दिया गया है, जबकि देश की बड़ी खुफिया एजेंसियां, गृह मंत्रालय और पीएमओ के अंतर्गत आती हैं.


सोमवार को राज्य सभा में एक लिखित सवाल के जवाब में रक्षा राज्यमंत्री, अजय भट्ट ने एक सवाल के जवाब में कहा कि रक्षा मंत्रालय ने एनएसओ ग्रुप टैक्नोलॉजी से कोई लेन-देन नहीं किया है. राज्यसभा सांसद डॉक्टर वी. सिवादासन ने दरअसल, रक्षा बजट को लेकर सवाल पूछा था. इसके साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्रालय से ये भी सवाल पूछा कि क्या सरकार ने एनएसओ के साथ भी कोई ट्रांजेक्शन किया है.


शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि सरकार की तरफ से आधिकारिक तौर से संसद में पेगासस जासूसी कांड पर कोई बयान दिया गया है. जब से देश के राजनेताओं, विपक्षी नेता, पत्रकार और एनजीओ के फोन टैपिंग का मामला सामने आया है तब से ही विपक्ष ने संसद को चलने नहीं दिया है. दरअसल, एनएसओ इजरायल की एक जानी-मानी कंपनी है जो पेगासस नाम का एक ऐप बनाती है. इस ऐप का इस्तेमाल मोबाइल फोन में सेंध लगाकर जासूसी करने के लिए किया जाता है. कंपनी का दावा है कि इस ऐप को वो दुनियाभर की सरकारों को ही बेचती है.


लेकिन आपको बता दें कि भले ही रक्षा राज्य मंत्री ने एनएसओ से किसी भी तरह के लेनदेन से साफ इंकार किया है, लेकिन देश की ऐसी कई बड़ी खुफिया एजेंसियां हैं जो रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत नहीं आती हैं. रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत मिलिट्री-इंटेलीजेंस (एमआई) और डिफेंस इंटेलीजेंस एजेंसी (डीआईए) आती हैं. जबकि इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) गृह मंत्रालय और रिसर्च एंड एनेलेसिस (रॉ) सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अंतर्गत आती है. इसके अलावा एनटीआरओ भी पीएमओ के अधीन है. जबकि नेशनल सिक्योरिटी कॉउंसिल सेक्रेटेरिएट (एनएससीसी) सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के अधीन है. हालांकि, एनएससीसी के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक तौर से सामने नहीं आई है.


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