नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना के लिए 12 उच्च शक्ति वाले रडार खरीदने सहित 5,500 करोड़ रुपए से अधिक के सैन्य सामान खरीदने की मंजूरी दे दी. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में इस पर फैसला किया गया. यह परिषद रक्षा मंत्रालय में खरीद संबंधी फैसले करने वाला शीर्ष निकाय है. मंत्रालय ने बताया कि परिषद की बैठक के बाद रक्षा सेनाओं के लिए 5,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के उपकरण खरीदने की मंजूरी दी गई है.


इस बैठक में भारतीय नौ सेना के लिए छह आधुनिक पनडुब्बी बनाने के अरबों रुपये के महत्वकांक्षी पी-75 कार्यक्रम पर विचार विमर्श किया जाना था. हालांकि, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि बैठक में इस मुद्दे पर कोई फैसला हुआ है या नहीं.


रक्षा खरीद में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए परिषद ने भारतीय वायुसेना के लिए 12 उच्च शक्ति रडार खरीदने को मंजूरी दी है. ये रडार लंबी दूरी के मध्यम और अधिक ऊंचाई की रडार कवरेज उपलब्ध कराने में सक्षम होंगे.


बता दें की सेना में सैन्य सामान की कमी के कारण सरकार की आलोचना हो रही थी. खुद सेना ने भी इसकी शिकायत की थी. कुछ दिन पहले लेफ्टिनेंट जनरल शरथचंद ने मेजर जनरल (रिटायर) बीसी खंडूरी की अध्यक्षता वाली संसद की रक्षा मामलों की स्थायी समिति से कहा था कि सेना का 68% सैन्य साज़ो सामान ‘विंटेज’ श्रेणी का है यानि पुराना पड़ चुका है. जबकि 24 प्रतिशित हथियार और मशीनरी को‘आधुनिक’ और बाकी आठ प्रतिशत को ही ‘स्टेट ऑफ द आर्ट’ कहा जा सकता है.


रिपोर्ट में उनके हवाले से ही कहा गया है कि किसी भी सेना के लिए बेहद जरुरी है कि “एक-तिहाई सैन्य मशीनरी विंटेज, एक तिहाई आधुनिक और एक तिहाई स्टेट ऑफ द आर्ट श्रेणी की होनी चाहिए.” उन्होंने संसदीय समिति से यह भी कहा था कि 123 जारी परियोजनाओं और आपातकालीन खरीद के लिए 29,033 करोड़ रूपए दिए जाने हैं, लेकिन 2018-19 के सैन्य बजट में आधुनिकीकरण के लिए 21,338 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जो ‘नाकाफी’ है.


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