पेंशन बजट कम करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने निकाला नया फॉर्मूला
सेना मुख्यालय के एक वरिष्ट अधिकारी के मुताबिक इस प्रस्ताव का मकसद मुख्यत पेंशन-बजट को कम करना है. इसके अलावा उन सैनिकों (और अफसरों) को प्रोत्साहन देना है जो कम सेना में कम रिक्तियों के चलते प्रमोशन नहीं पाते हैं.
नई दिल्ली: सेना का पेंशन-बजट कम करने और सुपर-स्पैशेलिस्ट सैनिकों द्वारा बीच में ही अपनी सेवाएं खत्म कर प्राईवेट सेक्टर में अपना करियर बनाने से परेशान सेना ने इससे निबटने का फॉर्मूला तैयार कर लिया है. सीडीएस के नेतृत्व वाले डीएमए विभाग ने कर्नल और उससे ऊपर रैंक के अधिकारियों की रिटायरमेंट उम्र को बढ़ाने का फैसला लिया है. लेकिन अब बीच में ही नौकरी छोड़ने वाले सैनिकों को पूरी पेंशन नहीं मिलेगी. 35 साल नौकरी करने के बाद ही किसी सैनिक को पूरी पेंशन मिलेगी.
डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स (डीएमए) ने एक प्रपोज़ल-नोट तैयार किया है जिसके तहत अब उन सैनिकों और सैन्य अफसरों को ही पूरी पेंशन मिलेगी जो 35 साल तक सेना में अपनी सेवाएं पूरी करेंगे. एबीपी न्यूज के पास इस नोट की कॉपी है. नोट के मुताबिक, वे सैनिक जो 21-25 साल तक की नौकरी करते हैं उन्हें 50 प्रतिशन पेंशन ही मिलेगी. जबकि 26-30 साल तक सेवाएं देने वालों को 60 प्रतिशत और 31-35 साल वालों को 75 प्रतिशत पेंशन मिलेगी.
सेना मुख्यालय के एक वरिष्ट अधिकारी के मुताबिक इस प्रस्ताव का मकसद मुख्यत पेंशन-बजट को कम करना है. इसके अलावा उन सैनिकों (और अफसरों) को प्रोत्साहन देना है जो कम सेना में कम रिक्तियों के चलते प्रमोशन नहीं पाते हैं. इसके अलावा, उन स्पेशलिस्ट और सुपर-स्पेशिलिस्ट सैनिकों को लंबे समय तक अपनी सेवाएं देना है जो सेना से ट्रेनिंग मिलने के बावजूद जल्द नौकरी छोड़ देते है. ऐसा देखने में आया है कि स्पेशिलस्ट-सैनिक जल्द ही सेना में सेवाएं खत्म कर प्राईवेट और कॉरपोरेट सेक्टर में अपनी सेवाएं देना शुरू कर देते हैं. इससे सेना को बड़ा नुकसान होता है.
लेकिन इस फॉर्मूले को लाने की मुख्य वजह पेंशन-बजट है, जो ओआरओपी (वन रैंक वन पेंशन) के लागू होने के बाद से लगातार बढ़ता जा रहा है. लगातार बढ़ते पेंशन बजट का असर रक्षा बजट पर भी पड़ रहा है. क्योंकि अभी 20 साल से ऊपर सेना में अपनी सेवाएं देने वाले सैनिकों को पूरी पेंशन मिलती है. इस साल (2020-21) के कुल रक्षा बजट (4.70 लाख करोड़) का करीब 28 प्रतिशत यानि 1.33 लाख करोड़ पेंशन में खर्च होता है. क्योंकि इस वक्त देश में करीब 25 लाख पूर्व-सैनिक हैं और करीब छह लाख (सिविल) डिफेंस कर्मचारी हैं. लेकिन अगर नया फॉर्मूला लागू हुआ तो आने वाले सालों में पेंशन बजट कम होने की संभावना है. वहीं दूसरी तरफ सेनाओं के आधुनिकिकरण और हथियारों के खरीदने के लिए बजट काफी कम रह जाता है.
डीएमए विभाग चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के अंतर्गत काम करता है. डीएमए के इस नोट में कर्नल रैंक के अधिकारी अब 57 साल तक सेना में अपनी सेवाएं दे सकते हैं. जबकि ब्रिगेडियर और मेजर-जनरल क्रमश: 58 और 59 साल तक अब सेना में अपनी सेवाएं दे सकेंगे. अभी तक कर्नल, ब्रिगेडियर और मेजर-जनरल की रिटायरमेंट उम्र क्रमश: 54, 56 और 58 साल है. सैन्य अफसरों के अलावा ईएमई, सर्विस कोर और ऑर्डनेंस कोर जैसी लॉजिस्टिक, टेक्नीकल और मैकेनिकल ब्रांच के सैनिकों के लिए भी रिटायरमेंट की उम्र 57 साल कर दी गई है.
ये फॉर्मूला तीनों सेनाओं यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना में लागू होगा. लेकिन इस फॉर्मूला को सरकार के हरी झंडी मिलने के बाद ही लागू किया जाएगा. डीएमए के इस नोट के मुताबिक, सीडीएस के समकक्ष 10 नबम्बर तक ड्राफ्ट जीएसएल (गर्वमेंट सेंक्शन लैटर) पेश करने के लिए कहा गया है.