CAG to Audit PM Poshan Scheme in West Bengal: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) ने बुधवार (8 फरवरी) को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) से कहा कि वह पश्चिम बंगाल में पीएम पोषण योजना (PM Poshan Scheme) के कार्यान्वयन का विशेष ऑडिट (Audit) करे. मंत्रालय ने कहा कि उसे पश्चिम बंगाल (West Bengal) से पीएम पोषण योजना के फंड के कथित दुरुपयोग संबंधी रिपोर्ट्स मिली हैं. मंत्रालय ने यह भी बताया कि योजना के कार्यान्वयन के लिए स्वीकृत मानकों को नहीं माने जाने के उदाहरण भी मीडिया में दिखाए गए हैं.


पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा मंत्रालय ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों में योजना के कोष के कथित दुरुपयोग का विशेष ऑडिट नियंत्रक और महालेखा परीक्षक से करने का आग्रह किया है. ऑडिट में अनुपालन, प्रदर्शन और वित्तीय लेखाजोखा पर गौर किया जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि कैग की ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर जरूरी सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे.


क्या है पीएम पोषण योजना?


बता दें कि पीएम पोषण योजना का संचालन स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (Department of School Education and Literacy) करता है. प्राप्त हुए प्रस्तावों के आधार पर केंद्र की ओर से राज्यों को धन उपलब्ध कराया जाता है. उस धन के माध्यम से कक्षा एक से आठ तक और बालवाटिका में पात्र बच्चों को पका हुआ गर्म भोजन उपलब्ध कराया जाता है. 


कितने अनुपात में बांटा जाता है खर्च?


इस योजना के अंतर्गत केंद्र-राज्यों और विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों के बीच खाना पकाने की लागत समेत ज्यादातर चीजों को 60:40 के अनुपात में विभाजित किया जाता है. वहीं, केंद्र और पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के बीच औसत अनुपात 90:10 का है. अनाज की लागत का खर्च पूरी तरह से केंद्र उठाता है. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पीएम पोषण योजना से देश के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 11 करोड़ 80 लाख बच्चों को लाभ मिलता है.


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