नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय 680 लड़कों के छात्रावास और आवासीय विद्यालय के छात्रावास को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखेगा. सूत्रों के मुताबिक 680 हॉस्टल और आवासीय विद्यालयों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम दिया जा रहा है. आपको बता दें देश इस वर्ष नेताजी के 125वीं जयंती वर्ष को पराक्रम वर्ष के रूप में भी मना रहा है.


शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि नियमित स्कूल पाठ्यक्रम के अलावा, बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हस्तक्षेप जैसे विशिष्ट कौशल प्रशिक्षण, शारीरिक आत्मरक्षा, चिकित्सा देखभाल, सामुदायिक भागीदारी, मासिक वजीफा भी बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है. ये आवासीय स्कूल और हॉस्टल KGBV द्वारा समान मानदंडों का पालन करते हैं और KGBV द्वारा निर्धारित मानकों को प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अब तक कुल 1063 आवासीय सुविधाएं 383 आवासीय विद्यालय और 680 छात्रावास मंजूर किए गए हैं. समागम शिक्षा योजना के तहत वित्तपोषित आवासीय विद्यालयों छात्रावासों का नाम "नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालय" करने का निर्णय लिया गया है.


शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को बताया, "नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ इन स्कूलों का जुड़ाव बच्चों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करेगा और शिक्षकों, कर्मचारियों और प्रशासन को भी प्रेरित करेगा."


सरकार ऐसे इलाक़ों में स्कूली शिक्षा की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए, जो जनसंख्या के कम घनत्व ज्यादातर आदिवासी क्षेत्रों में काफी कम आबादी वाले हैं, जहां स्कूल खोलना व्यवहार्य नहीं हो सकता है और शहरी क्षेत्रों में बच्चों के लिए जो देखभाल और सुरक्षा की जरूरत है, अल्पसंख्यक समागम शिक्षा के तहत शिक्षा, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वित्तीय सहायता प्रदान करती है.


इन स्कूलों में आवासीय सुविधा भी प्रदान की जाती है, उन बच्चों के लिए जिन्हें बाल श्रम से छुड़ाया जाता है, प्रवासी बच्चे जो गरीब भूमिहीन परिवारों से संबंधित हैं, बिना संरक्षण के बच्चे, अपने परिवारों से अलग, आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति और सामाजिक और सशस्त्र संघर्ष और प्राकृतिक आपदाओं के क्षेत्रों से जुड़े बच्चे शामिल है, ऐसे स्कूलों के लिए प्राथमिकता नीति अयोग द्वारा चिह्नित एस्पिरेशनल जिलों को दी जा रही है.


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