Covishield Vaccine Row: कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने पर हुआ विवाद, जानें-सरकार ने क्या कुछ कहा?
Covishield Vaccine Row: सरकार ने 13 मई को कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया था.
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआई) के अध्यक्ष एन के अरोड़ा ने मंगलवार को कहा कि कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच अंतराल को बढ़ाने का निर्णय वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया है.
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किये गए ट्वीट के अनुसार उन्होंने कहा कि इस संबंध में समूह के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं था.
सरकार ने 13 मई को कहा था कि उसने कोविड-19 कार्यकारी समूह की अनुशंसाओं को स्वीकार करते हुए कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया है.
#LargestVaccineDrive
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) June 16, 2021
Myths Vs. Facts on COVID-19 Vaccination
Record of Minutes of meetings of COVID-19 Working Group & Standing Technical Sub-Committee of NTAGI clearly show that recommended 12-16 weeks dosing interval for #COVISHIELD was unanimous https://t.co/2XHVZy4pyk pic.twitter.com/3j4GajCYXZ
राहुल गांधी का ट्वीट
बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ‘‘ भारत को त्वरित और संपूर्ण टीकाकरण की आवश्यकता है, न कि कोरोना रोधी टीकों की कमी पर पर्दा डालने के लिए ‘भाजपा के चित परिचित झूठ और नारों’ की जरूरत है.’’
राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘ प्रधानमंत्री की फर्जी छवि बचाने के लिए किए जा रहे निरंतर प्रयास से वायरस को मदद मिल रही है और लोगों के जीवन के लिए खतरा पैदा हो रहा है.’’
उन्होंने जिस खबर का हवाला दिया उसमें कथित तौर पर कहा गया है कि कई वैज्ञानिकों ने टीकों की दोनों खुराक के बीच अंतराल बढ़ाने के कदम का समर्थन किए जाने से इंकार किया है.
एन के अरोड़ा ने क्या कुछ कहा?
अरोड़ा ने कहा, ‘‘कोविड-19 और टीकाकरण परिवर्तनशील हैं. कल को यदि टीका निर्माण तकनीक (वैक्सीन प्लेटफॉर्म) में कहा जाता है कि टीके की खुराकों के बीच अंतराल कम करना लोगों के लिए फायदेमंद है चाहे इससे महज पांच या दस फीसदी ही अधिक लाभ मिल रहा हो तो समिति गुण-दोष के आधार तथा ज्ञान के बूते पर इस बारे में फैसला लेगी. वहीं दूसरी ओर, यदि ऐसा पता चलता है कि वर्तमान फैसला सही है तो हम इसे जारी रखेंगे.’’
स्वास्थ्य मंत्रालय के वक्तव्य के मुताबिक अरोड़ा ने डीडी न्यूज को बताया कि टीके की खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का आधार ‘‘एडेनोवेक्टर टीकों’’ से जुड़े बुनियादी वैज्ञानिक कारण थे.
अप्रैल माह के अंतिम हफ्ते में ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी ‘पब्लिक हैल्थ इंग्लैंड’ ने आंकड़े जारी कर बताया था कि टीके की खुराक के बीच 12 हफ्ते का अंतराल होने पर इसकी प्रभावशीलता 65 से 88 फीसदी के बीच रहती है.
अरोड़ा ने कहा, ‘‘इसी वजह से वे अल्फा स्वरूप के प्रकोप से बाहर आ सके. वहां टीके की खुराकों के बीच अंतर 12 हफ्ते रखा गया था. हमारा सोचना था कि यह एक अच्छा विचार है और इस बात के बुनियादी वैज्ञानिक कारण भी मौजूद हैं कि अंतराल बढ़ाने पर एडेनोवेक्टर टीके बेहतर परिणाम देते हैं. इसलिए टीके की खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते करने का 13 मई को फैसला लिया गया.
उन्होंने कहा कि कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच अंतराल को बढ़ाने का निर्णय वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में समूह के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं था.
बयान के मुताबिक अरोड़ा ने कहा कि कनाडा, श्रीलंका और कुछ अन्य देशों के उदाहरण भी हैं जहां एस्ट्राजेनेका टीके के लिए 12 से 16 हफ्ते का अंतराल रखा गया है.
उन्होंने बताया, ‘‘खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का जब हमने फैसला लिया उसके दो से तीन दिन बाद ब्रिटेन से खबरें आईं कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक से महज 33 फीसदी बचाव ही होता है जबकि दो खुराकों से 60 फीसदी तक बचाव होता है. मई माह के मध्य से ही यह विचार विमर्श चल रहा है कि क्या भारत को खुराकों के बीच अंतराल फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए.’’
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