नई दिल्ली: मौत की सजा पाए दोषियों को फांसी दिए जाने के लिए सात दिन की समय सीमा निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका ऐसे समय में दाखिल की गई है जब निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दोषियों ने फांसी की सजा से बचने के लिए कई दफे पुनर्विचार याचिका, सुधारात्मक याचिका और दया याचिकाएं अदालतों में लगाई है.
गृह मंत्रालय ने इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि मौत की सजा पाने वाले मुजरिमों की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद सुधारात्मक याचिका दायर करने की समय सीमा निर्धारित की जाए.
गृह मंत्रालय ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है-
* क्यूरेटिव दाखिल करने की सीमा तय हो
* डेथ वारंट के 7 दिन में दया याचिका की इजाज़त हो
* किसी की दया याचिका खारिज होने के 14 दिन में अनिवार्य फांसी हो, बाकी दोषी की लंबित याचिका से फर्क न पड़े.
गृह मंत्रालय ने कहा है कि शीर्ष अदालत को सभी सक्षम अदालतों, राज्य सरकारों और जेल प्राधिकारियों के लिए यह अनिवार्य करना चाहिए कि ऐसे दोषी की दया याचिका अस्वीकार होने के बाद सात दिन के भीतर सजा पर अमल का वारंट जारी करें. बता दें कि 21 जनवरी 2014 को शत्रुघ्न चौहान मामले में SC ने दया याचिका खारिज होने के कम से कम 14 दिन बाद फांसी की व्यवस्था दी थी.
निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा पाए एक दोषी पवन की नई याचिका 20 जनवरी को खारिज कर दी थी. इस याचिका में दोषी ने दावा किया था कि अपराध के समय 2012 में वह नाबालिग था. दिल्ली की अदालत ने हाल ही में इस मामले के दोषियों-विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह, मुकेश कुमार सिंह और पवन को एक फरवरी को फांसी के फंदे पर लटकाने के लिये वारंट जारी किया है.
इससे पहले इन दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी लेकिन लंबित याचिकाओं की वजह से ऐसा नहीं हो सका था. निर्भया के साथ 16 दिसंबर, 2012 की रात में दक्षिण दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने गैंगरेप के बाद बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया गया था. निर्भया का बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था.