नई दिल्ली: देश में पिछले साल हर घंटे 55 सड़क दुर्घटनाओं में 17 लोगों की मौत हुई यानि रोज़ाना 1317 दुर्घटनाएं और 417 मौत हुई. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी ताज़ा रिपोर्ट में ये ख़ुलासा हुआ है . साल 2016 के लिए जारी की गई रिपोर्ट में 2015 के मुक़ाबले दुर्घटनाओं में तो कमी आई है लेकिन मरने वालों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है.


क्या कहते हैं आंकड़े ?
2016 में देश भर में 4,80,652 सड़क हादसे हुए जिनमें 1,50,785 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. हर 3.5 मिनट पर किसी व्यक्ति को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. इन हादसों में 4,94,624 लोग घायल भी हुए.


एक अच्छी बात ये रही कि 2015 के मुक़ाबले 2016 में सड़क हादसों में 4.1 फ़ीसदी की कमी आई लेकिन इसका बुरा पक्ष ये रहा कि मरने वालों की संख्या में 3.2% का इज़ाफ़ा हो गया. यानि 2015 में जहां हर 100 हादसों में 29 लोग मारे गए वहीं 2016 में ये संख्या 31.3 प्रति 100 हादसे हो गई.


राष्ट्रीय राजमार्गों पर इस दौरान 1,42,359 (कुल का 29.6%) जबकि राज्य राजमार्गों पर 1,21,655 (25.3%) और अन्य मार्गों पर 2,16,638 (37.6%) सड़क हादसे हुए जिनमें क्रमशः 52,075 (34.5%), 42,067 (27.9%) और 56,643 (37.6%) लोग मारे गए.


कहां कहां हुए ज़्यादा हादसे ?
रिपोर्ट के मुताबिक़ सड़कों पर बने मोड़ों जैसे टी जंक्शन (T Junction) और वाई (Y Junction) पर सबसे ज़्यादा दुर्घटनाएं हुईं. देश भर में हुए कुल हादसों में से 37 फ़ीसदी हादसे उन्हीं चौराहों और मोड़ों पर दर्ज़ किए गए. उनमें से तक़रीबन 60 फ़ीसदी हादसे T और Y जंक्शन पर रिकॉर्ड किए गए. वहीं रेलवे क्रासिंग पर पिछले साल 3316 हादसों में 1326 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.


तमिलनाडू और उत्तर प्रदेश सबसे आगे
इन हादसों में केवल 13 राज्यों ने 86.5 फ़ीसदी का योगदान दिया है. इन 13 राज्यों में 4,15,734 हादसे हुए जिनमें 1,26,159 (कुल मौतों का 83.7%) लोग मारे गए. सबसे ज़्यादा दुर्घटनाएं दक्षिणी राज्य तमिलनाडू में दर्ज़ की गई. राज्य में 71,431 सड़क हादसे हुए जिनमें 17,218 लोग मारे गए. हादसों के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे (53,972) और कर्नाटक (44,403) तीसरे साथान पर रहे.


वैसे सड़क हादसों में हुई मौतों के मामले में सबसे अव्वल देश की सबसे ज़्यादा आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश रहा. सड़क हादसों के मामले में तो उत्तर प्रदेश छठे स्थान (35,612) पर रहा लेकिन 19,320 मौतों के साथ हादसों में हुई मौतों के मामले में सबसे ऊपर रहा. मौत के मामले में तमिलनाडू और महाराष्ट्र (12,935) दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे.


अगर महानगरों की बात करें तो सड़क हादसों के मामले में देश की राजधानी दिल्ली का रिकॉर्ड सबसे ख़राब रहा. दिल्ली में 2016 के दौरान सड़क हादसों में जहां 1591 लोगों की मौत हुई वहीं चेन्नई 1183 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर रहा. मुंबई 562 और कोलकता 407 मौतों के साथ तीसरे और चौथे स्थान पर रहा.


क्यों होते हैं हादसे ?
रिपोर्ट के मुताबिक़ इन हादसों की सबसे बड़ी वजह ड्राइवरों की गलती रही. स्पीड सीमा को पार करना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, ओवरटेकिंग और मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना कुछ ऐसी ग़लतियां हैं जिनसे बड़ी संख्या में सड़क हादसे हो रहे हैं. कुल सड़क हादसों में से 84 फ़ीसदी हादसों के पीछे ड्राइवरों की ग़लती होती है.


मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाने के कारण 4,976 दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 2,138 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. हालांकि सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारी भी मानते हैं कि इस आंकड़े से मामले की गंभीरता का सही अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है. उनका मानना है कि मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना सड़क दुर्घटना का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है और आने वाले समय में इसके चलते हादसों में बढ़ोत्तरी की आशंका है.


दोपहिया वाहनों वाले रहें सावधान
दुपहिया वाहनों पर चलने वाले लोगों को सावधान रहने की ज़रूरत है. रिपोर्ट से साफ़ है कि सड़क हादसों में सबसे ज़्यादा जान गंवाने वाले दुपहिया वाहनों पर चलने वाले लोग ही रहते हैं. 2016 में मरने वाले कुल लोगों में 34% यानि 52,500 लोग दुपहिया वाहनों पर सफ़र करने वाले थे. वहीं पैदल चलने वाले 15,746 लोगों को भी इन हादसों में जान गंवानी पड़ी.


बाक़ी देशों की हालत
भारत में 2016 के दौरान प्रति एक लाख आबादी पर 11.9 लोग सड़क हादसों में मारे गए. अमेरिका में यही आंकड़ा 10 प्रति एक लाख आबादी है. रूस में 19 व्यक्ति प्रति लाख आबादी पर तो आस्ट्रेलिया और जर्मनी में क्रमशः 5 और 4 व्यक्ति सड़क हादसों में अपनी जान गंवाता है.


हादसों को रोकने के लिए क्या प्लान है?
सरकार ने इन हादसों को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति तैयार किया है. नीति का मक़सद इन हादसों के प्रति लोगों को शिक्षित और जागरूक करना है. सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का मानना है कि संसद में लंबित पड़े मोटर यान (संशोधन) बिल के पारित होने के बाद सड़क हादसों को रोकने के लिए और कारगर क़दम उठाए जा सकेंगे. इस बिल में अन्य प्रावधानों के अलावा ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के लिए लगाए जाने वाले ज़ुर्माने में बड़ी बढ़ोत्तरी का प्रावधान है.