POCSO Act: मुस्लिम कानून के तहत नाबालिग भी कर सकते हैं शादी? केरल हाईकोर्ट ने किया साफ
POCSO Act: जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस की एकल पीठ ने कहा कि पॉक्सो एक्ट एक विशेष कानून है. ये विशेष रूप से बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा देने के लिए बनाया गया है.
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Kerala HC clarifies POCSO Act: देश में बाल विवाह कानूनन अपराध है. लड़की की शादी 18 साल बाद और लड़के की शादी 21 साल के बाद ही की जा सकती है. यदि इस उम्र सीमा से नीचे के लड़के या लड़की की शादी की जाती है, तो शादी अवैध घोषित मानी जाती है. इतना ही नहीं बाल विवाह कराने वालों को जेल भी हो सकती है. हालांकि इसके बाद भी मुस्लिम समाज में शादी को लेकर कई तरह के सवाल पैदा होते हैं. देश में मुस्लिमों के लिए शरीयत कानून को भी मान्यता मिली हुई है. शरीयत कानून के तहत लड़की को उम्र से नहीं बल्कि Menstrual के आधार पर बालिग माना जाता है.
ऐसे में क्या मुस्लिम कानून के हिसाब से नाबालिग की शादी की जा सकती है? इस सवाल को केरल की हाईकोर्ट के एक आदेश ने पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है. केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मुस्लिम कानून के तहत नाबालिगों की शादी पॉक्सो एक्ट से बाहर नहीं हो सकती है. यदि दूल्हा या दुल्हन नाबालिग है और मुस्लिम कानून के तहत उनकी शादी भले ही वैध हो, लेकिन पॉक्सो एक्ट उनपर भी लागू होगा.
पॉक्सो एक्ट एक विशेष कानून है- केरल HC
जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस की एकल पीठ ने कहा कि पॉक्सो एक्ट एक विशेष कानून है. पॉक्सो एक्ट विशेष रूप से बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा देने के लिए बनाया गया है. एक बच्चे के खिलाफ हर प्रकार के यौन शोषण को अपराध माना जाता है. नाबालिग विवाह को भी इससे बाहर नहीं रखा गया है. पॉक्सो एक्ट से किसी को भी बाहर नहीं रखा जा सकता है.
हाईकोर्ट ने कहा कि पॉक्सो एक्ट को बाल शोषण से संबंधित न्यायशास्त्र से उत्पन्न सिद्धांतों के आधार पर बनाया गया है. ये कानून कमजोर, भोले-भाले और मासूम बच्चों की रक्षा करने के लिए बनाया गया है. इस कानून के तहत बच्चों की यौन अपराधों से रक्षा की जाती है. इसमें नाबालिग विवाह को यौन शोषण के रूप में ही स्पष्ट किया गया है.
बाल विवाह को बताया मानवाधिकारों का उल्लंघन
कोर्ट ने बाल विवाह को मानवाधिकारों का भी उल्लंघन बताया. कोर्ट ने कहा कि बाल विवाह के कारण बच्चा सही से विकसित नहीं हो पाता है. यह सभ्य समाज के लिए एक बुराई है. पॉक्सो एक्ट को परिभाषित करते हुए कोर्ट ने कहा कि ये कानून शादी की आड़ में बच्चों के साथ शारीरिक संबंध बनाने से रोकता है. जैसा कि अक्सर कहा जाता है, एक कानून लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति या प्रतिबिंब है. इस इरादे की सिद्धि में, POCSO अधिनियम ने धारा 2 (डी) में 'बच्चे' शब्द को '18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति' के रूप में परिभाषित किया है.
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