(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जब मीराबाई चानू ने 2 साल बाद खाया घर का खाना तो चेहरे पर छाई मुस्कान
रजत पदक जीतकर देश को गौरवान्वित करने वाली मीराबाई चानू ने 2 साल के बाद गुरूवार को अपने घर का खाना खाया.
टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतकर देश को गौरवान्वित करने वाली मीराबाई चानू ने 2 साल के बाद गुरूवार को अपने घर का खाना खाया. उन्होंने खाने की एक तस्वीर को ट्वीट पर साझा किया है. इसमें उन्होंने लिखा है कि आखिरकार दो साल बाद घर का खाने के बाद की स्माइल.
मणिपुर की इस खिलाड़ी ने 49 किग्रा वर्ग में कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) भार उठाकर शनिवार को रजत पदक हासिल किया था. इससे पहले भारोत्तोलन में 2000 सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी के कांस्य पदक जीता था.
इस शानदार प्रदर्शन से उन्होंने 2016 के खेलों की निराशा को दूर किया जहां वह एक भी वैध भार उठाने में विफल रही थी. चानू पूर्व विश्व चैंपियन और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता भी रह चुकी हैं. वह इन खेलों से पहले अमेरिका में अभ्यास कर रही थी और अपने आत्मविश्वास से भरे प्रदर्शन के साथ पदक की उम्मीदों पर खरी उतरी.
That smile when you finally eat ghar ka khana after 2 years. pic.twitter.com/SrjNqCXZsm
— Saikhom Mirabai Chanu (@mirabai_chanu) July 29, 2021
मीराबाई चानू घर पहुंचने पर मां से मिलकर भावुक हुई
ओलंपिक भारोत्तोलन में रजत पदक जीतने वाली मीराबाई चानू मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की ओर से सम्मानित किये जाने से पहले यहां हवाई अड्डे पर मंगलवार को अपनी मां से मिलने के बाद भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं और उनकी आंखें नम हो गयी. सोमवार को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर हुए स्वागत समारोह की तरह ही यहां बीर टिकेंद्रजीत अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर मीराबाई की झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों के साथ मीडियाकर्मी भी मौजूद थे. उनके हवाई अड्डे से बाहर निकलते ही अफरातफरी मच गयी.
रियो (2016) ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद मीराबाई को पिछले पांच वर्षों में बहुत बार घर आने का मौका नहीं मिला था. ओलंपिक भारोत्तोलन में 49 किग्रा भार वर्ग में शनिवार को रजत पदक जीतने वाली मीराबाई यहां पहुंचने पर अपनी मां सेखोम ओंगबी तोम्गी लीमा और पिता सेखोम कृति मेइतेई से गले मिली जिसके बाद उनकी आंखें नम हो गयी. इस बीच सुरक्षाकर्मियों ने उनके आसपास एक घेरा बनाया था.
चानू ने खेलों के दौरान ओलंपिक प्रतीक चिह्न जैसी सोने की बालियां (कान का आभूषण) पहनी थी जो काफी लोकप्रिय हुआ. यह बालियां उनकी मां ने पांच साल पहले रियो खेलों से पहले अपने आभूषण बेच कर बनवायी थी. उनका मानना था कि यह मीराबाई के लिए भाग्यशाली साबित होगा. यह 26 साल की खिलाड़ी यहां से लगभग 25 किलोमीटर दूर नोगपोक काकचिंग गांव में रहती है.
मीराबाई हवाई अड्डे से मणिपुर राज्य सरकार के सम्मान समारोह में शामिल होने पहुंची, जिसकी मेजबानी मुख्यमंत्री ने की थी. मणिपुर की इस खिलाड़ी ने 49 किग्रा वर्ग में कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) भार उठाकर शनिवार को रजत पदक हासिल किया था. इससे पहले भारोत्तोलन में 2000 सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने कांस्य पदक जीता था.
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